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अब छुक-छुक करती वातानुकूलित टॉय ट्रेन में लिया जा सकता है प्रकृति के नाज़ारों का लुत्फ

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सिलीगुड़ी। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग को पहाड़ों की रानी कहा जाता है। यहां के प्राकृतिक नजारे हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हिमालय की गोद में बसे दार्जिलिंग से कंचनजंघा का दृश्य देखते ही बनता है। इसी के चलते यहां सालभर लाखों सैलानी आते हैं। दार्जिलिंग और सिक्किम आने वाले पर्यटक एक बार ट्वाय ट्रेन के सफर का आनंद जरूर लेते है, क्योंकि जब छुक-छुक करती ट्वाय ट्रेन पहाड़ों के बीच गुजरती है, तो इसका अनुभव अद्भुत होता है। यही कारण है कि सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व से पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग में आने वाले पर्यटक टॉय ट्रेन का मजा लेने पहुंचते हैं। पहाड़ की हसीन वादियों में टेड़े मेढे रास्ते में गुजरती टॉय ट्रेन की सवारी हर पर्यटक को अपनी ओर खींचती है। हालांकि कोरोना के कारण पिछले दिनों पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था। लेकिन फिर से शुरू हो गया है। सबसे बड़ी बात है कि रेलवे एक सदी पुरानी दार्जिलिंग टॉय ट्रेन की भव्य विरासत में और चार चांद लग गया है। दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे ने पहली बार एयर कंडिशन्ड टॉय ट्रेन शुरू किया है और अब पर्यटक पहाड़ की वादियों का लुत्फ़ वातानुकूलित बोगी में बैठ कर उठा सकेंगे। डीआरएम ने मंगलवार को न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर टॉय ट्रेन के यात्रियों के साथ केक काट कर वातानुकूलित टॉय ट्रेन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर टॉय ट्रेन को गुब्बारों से सजाया गया और सभी यात्रियों को मिठाई खिलाकर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।
इस अवसर पर डीआरएम ने कहा कि यात्रियों को सर्दियों के मौसम में टॉय ट्रेन की सवारी करने में मजा आता है, लेकिन गर्मियों में कर्सियांग में बहुत गर्मी होती है। यही कारण है कि गर्मी के मौसम को ध्यान में रखने हुए आज से एयर कंडीशन्ड टॉय ट्रेन शुरू कर दी गई है साथ ही इसकी टिकट की कीमत कम कर दी गयी है। आपको बता दें कि डीएचआर ने ट्वॉय ट्रेन के किराए में 200 रुपये तक की कटौती की है। काफी दिनों से ट्वॉय ट्रेन का किराया ज्यादा होने की शिकायत की जा रही थी। इन शिकायतों को दूर करने तथा ट्वॉय ट्रेन के प्रति पर्यटकों का रुझान बढ़ाने के उद्देश्य से डीएचआर द्वारा किराए में कटौती की गई है।
दर्शकों को बता दें कि यूनेस्को ने साल 1999 में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को विश्व धरोहर में शामिल किया है। इस ट्रैक का निर्माण 1879 से लेकर 1881 के बीच किया गया था। इस रेलवे लाइन की कुल लंबाई 78 किलोमीटर है जिसमें 13 स्टेशन पड़ते हैं। इस टॉय ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटा है। यदि आप कहीं घूमने का मन बना रहे हैं और अगर पहाड़ी क्षेत्र के साथ-साथ प्रकृति के नजदीक जाना चाहते हैं तो दार्जिलिंग आपके लिए बेहतर च्वाइस हो सकती हैं।
इसके अलावा टॉय ट्रेन की लोकप्रियता को और बढ़ाने के उद्देश्य से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की ओर से अगले महीने एक मार्च से लेकर 31 मार्च तक समर फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा। यह फेस्टिवल सिलीगुड़ी जंक्शन तथा दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के कर्सियांग तथा दार्जिलिंग डीएचआर स्टेशनों पर आयोजित किया जाएगा। इस फेस्टिवल के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, वहीं दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी। पिछले डीएचआर द्वारा आयोजित घूम फेस्टिवल की सफलता को देखते हुए इस बार समर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।


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