पूरे यूरोप में आ सकती तबाही की सुनामी, यूक्रेन में रूसी मिसाइलों से जल रहे न्यूक्लियर प्लांट से खौफ में दुनिया
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन की जंग खतरनाक होती जा रही है. खबर है कि रूस ने यूक्रेन के जेपोरीजिया न्यूक्लियर पावर प्लांट पर हमला कर दिया है। इस हमले से यूरोप खौफजदा है और हो भी क्यों न, उसपर कयामत का खतरा जो मंडरा रहा है। रूस ने यूक्रेन में जो आग लगा रखी है, उसकी एक चिंगारी गलत जगह पर पड़ी तो यूरोप क्या पूरी दुनिया के लिए आफत आ जाएगी। शुक्रवार को खबर आई है कि रूसी सेना ने जपोरिजिया न्यूक्लियर पावर प्लांट पर फायरिंग की है। यह यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट है, चेरनोबिल से 10 गुना बड़ा। यूक्रेन और यूरोप के लोग अभी 1986 का वह हादसा भूले नहीं होंगे। तीन दशक से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है मगर चेरनोबिल आज भी खतरनाक है और दशकों तक रहेगा। बस कल्पना कीजिए कि अगर जपोरिजिया प्लांट से रेडिएशन हुआ तो, तबाही की ऐसी सुनामी आएगी जो दुनिया ने इससे पहले कभी देखी नहीं।
यूरोप के लिए तबाही का सबब बन सकता है!
यूक्रेन ने शुक्रवार को कहा कि रूसी सेना ने जपोरिजिया पर हमला किया है। विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर विस्फोट हुआ तो यह चेरनोबिल आपदा की तुलना में ’10 गुना बड़ी’ आपदा होगी। अपने ट्वीट में कुलेबा ने कहा, ‘रूसी सेना यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र जपोरिजिया एनपीपी पर हर तरफ से गोलीबारी कर रही है। आग पहले ही लग चुकी है। अगर इसमें धमाका हुआ, तो यह चेरनोबिल से 10 गुना बड़ा होगा! रूसियों को तुरंत आग रोकनी चाहिए, अग्निशामकों को अनुमति देनी चाहिए, एक सुरक्षा क्षेत्र स्थापित करना चाहिए।’ यूक्रेन में इस वक्त चार सक्रिय परमाणु संयंत्र हैं, जिनमें जपोरिजिया भी शामिल है। दावा है कि यह यूक्रेन की बिजली का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा बनाता है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने जारी किया इमरजेंसी संदेश
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शुक्रवार सुबह एक अर्जेंट वीडियो मेसेज जारी किया। उन्होंने चेरनोबिल की याद दिलाते हुए चेतावनी दी कि उससे भी भयानक आपदा आ सकती है। जेलेंस्की ने कहा, ‘रूस के अलावा किसी और देश ने न्यूक्लियर पावर यूनिट्स पर हमला नहीं किया है। यह इतिहास में पहली बार हुआ है, मानव इतिहास में पहली बार। आतंकी देश ने अब न्यूक्लियर टेरर फैलाने का मन बना लिया है।’
आइएईए
आइएईए ने दी राहत भरी खबर, चेतावनी भी
जपोरिजिया न्यूक्लियर पावर प्लांट पर हमले की खबर आते ही अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) के कान खड़े हो गए। आइएईए ने यूक्रेन के अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि अभी तक प्लांट पर रेडिएशन के लेवल में कोई बदलाव नहीं है। एक ट्वीट में आइएईए ने कहा कि उसके महानिदेशक मारियानो ग्रॉसी जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की मौजूदा स्थिति को लेकर यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्मीगल और यूक्रेनी परमाणु ऊर्जा नियामक और संचालक के संपर्क में बने हुए हैं। आईएईए के महानिदेशक ने दोनों पक्षों से गोलाबारी बंद करने की अपील करते हुए कहा कि यदि परमाणु ऊर्जा को निशाना बनाया गया तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
26 अप्रैल, 1986 : जब चेरनोबिल में हुआ हादसा
26 अप्रैल, 1986 का दिन याद कीजिए। यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 130 किलोमीटर उत्तर में स्थित चेरनोबिल पावर प्लांट में दुर्घटना हुई। उस दिन वहां एक टेस्ट होना था मगर उस दौरान न्यूक्लियर फिशन की प्रक्रिया बेकाबू हो गई। रिऐक्टर के अंदर दबाव बढ़ गया। कुछ ही देर में दो शक्तिशाली विस्फोट हुआ जिससे पूरे वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थ फैल गए। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि रिऐक्टर को ढकने वाली एक हजार टन से ज्यादा की प्लेट और उसके ऊपर की छत की धज्जियां उड़ गईं। रिऐक्टर में इस्तेमाल होने वाली ईंधन की छड़ों के परखच्चे उड़ गए। छड़ें हवा में काफी ऊंचाई तक उछलीं जिससे पर्यावरण में रेडिएशन फैल गया।
तबाही का वो मंजर… सिहरा जाता है
शुरू में तो चेरनोबिल में 32 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग रेडिएशन की वजह से बुरी तरह से जल गए। फिर यह रेडिएशन पूरे माहौल में फैल गया। हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से जितना रेडिएशन नहीं पैदा हुआ था, उससे कई गुना ज्यादा इसमें पैदा हुआ था। हवा के साथ रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स उत्तरी और पूर्वी यूरोप में फैल गए। इस रेडिएशन से होने वाले कैंसर से बाद में सोवियत संघ के करीब 5,000 नागरिकों की मौत हो गई थी। लाखों लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ था। साल 2000 में चेरनोबिल में आखिरी काम कर रहे रिऐक्टर्स को भी बंद कर दिया गया।
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