अलीपुरद्वार । उत्तर बंगाल में जंगली हाथी फसल के साथ-साथ गांव के लोगों की संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे थे। राज्य का वन विभाग हाथियों को शांत करने में पूरी तरह फेल हो रहा है। यही कारण है कि डुवार्स वासियों के द्रारा हाथियों की पूजा भय रूप से की जाती है। दरअसल ग्रामीणों का यह विश्वास है कि पूजा सेवा करने से हाथी हमला नहीं करेंगे। हाथी के हमले से खुद को बचाने के लिए ग्रामीण वैशाख के पहले दिन घने जंगल में जाते हैं और हाथी की पूजा करते हैं। कीर्तन से शुरू होकर, भक्त अपनी उपज का कुछ हिस्सा बोरों में भरकर गणेश बाबा हाथी के प्रयोजन के लिए एक निश्चित स्थान के पेड़ के नीचे छोड़ देते हैं। हाथी रात में आते है और उसे खाता है।
आपको बता दें किस अलीपुरद्वार में हाथियों को गणेश के पिता के रूप में पूजा जाता है। हाथियों को गणेश के पिता के रूप में पूजे जाने की यह पिछले ग्यारह साल से चल रही है। प्रत्येक साल ही पूरे रीति रिवाज से पूजा की जाती है और गांव वाले प्रार्थना करते है हाथी उन्हें परेशां करना छोड़ दें और जंगल में शांति से रहें।
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