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उत्तर बंगाल से विलुप्त होते जा रहे हैं तोते, बड़े स्तर हो रही है तस्करी, फिर 13 तोते के साथ एक गिरफ्तार

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सिलीगुड़ी। उत्तर बंगाल के वनांचल और दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्र से लगातार तोता की तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। एक संगठित तौर पर यह तस्करी हो रही है जिसके कारण क्षेत्र में तोता विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके है। हालाँकि वन विभाग इस मामले में कार्रवाई कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद तस्करी जारी है। सिलीगुड़ी में एक बार फिर से तोते के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया गया है।
जानकारी के अनुसार घोषपुकुर वन विभाग ने गुप्त सूचना के आधार पर सिलीगुड़ी महकमे के खोरीबाड़ी में बंगाल-बिहार सीमा पर भालुकगड़ा इलाके में छापेमारी के दौरान बिहार तस्करी किये जा रहे 13 तोते के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। तस्कर का नाम प्रदीप महतो बताया जा रहा है। वन विभाग ने जांच शुरू कर दी गई है। अनुमान लगाया जा रहा है किस उत्तर बंगाल के वनांचल और दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्र से इन तोतों को पकड़ा गया होगा।
हकीकत यही है कि वन्य जीवों की तस्करी पर पूरी तरह से प्रतिबंध होने के बावजूद भी इन इलाकों से बड़े पैमाने तोता के अलावा अन्य दुर्लभ पक्षियों की तस्करी की जा रही है। इन पक्षियों की बड़े शहरों में अच्छी खासी मांग होने के कारण तस्कर संगठित होकर तस्करी कर रहे हैं। इसी शौक के कारण आज कई पक्षी पहाड़ी विलुप्त हो चुके है। आपको बता दें कि तोता व अन्य सुरीली आवाज वाले पक्षियों को पकड़कर बांस की टोकरी में रखकर तस्करी कर किया जाता है। तस्करी के दौरान कई तोते ठीक से दाना-पानी नहीं मिलने के कारण काफी कमजोर भी हो जाते हैं इनमें से कुछ बहुत छोटे बच्चे होते हैं जिन्हें तस्कर पकड़ लेते हैं। इसके कारण कई तोतों की मौत भी हो जाती है। इन तोतों को शहरों में एक हजार रुपए से 1500 रुपए तक बेचा जाता है। तोतों को पकडऩे व तस्करी की गति ऐसी ही रही तो आने वाले दिनो मे जंगली वन क्षेत्रों से तोते पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।


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