Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

अलग राज्य को लेकर फिर सिर उठाने लगा है केएलओ, वीडियों सन्देश जारी करने से मची खलबली

- Sponsored -

- Sponsored -


कूचबिहार। भाजपा के कई विधायक पहले से ही उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर चुके है। मगर इस बीच अब एक बार फिर से उत्तर बंगाल में अलग राज्य के बढ़ते मांग के साथ ही 18 वर्षो बाद फिर से कामतापुर लिब्रेशन ऑग्नाइजेशन (केएलओ)ने अपना सिर उठाना शुरु किया है। केएलओ उग्रवादी समूह ने वीडियो संदेशों के जरिए केंद्र सरकार को चेतावनी दी है।
इसी सप्ताह सोमवार को सोशल मीडिया के जरिए केंद्र सरकार को कूचबिहार के लिए अलग राज्य की मांग करने की चेतावनी दी गई थी। वीडियो संदेश में आधुनिक हथियारों से लैस एक व्यक्ति स्वंय को बंगईगांव निवासी जॉय प्रकाश बर्मन होने का दावा किया है। वीडियो संदेश में केएलओ सदस्य ने 28 अगस्त 1949 के कूचबिहार मार्जार समझौते के तहत कूचबिहार को अलग राज्य की वापसी की मांग करता हुआ दिखाई दे रहा है। इस वीडियो सन्देश में धमकी देते हुए उसने कहा है कूचबिहार वापस नहीं करने पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार को विकट स्थिति का सामना करना पड़ेगा। मांग पूरी नहीं होने पर किसी भी स्थिति के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी।
देखा जाए तो यह कोई पहला वीडियो नहीं है, अलग-अलग समय पर, केएलओ उग्रवादी समूह के तरफ से अलग राज्य की मांग में वीडियो संदेश जारी होते रहते है।
। एसटीएफ पहले ही कई केएलओ उग्रवादियों को गिरफ्तार कर चुकी है। दो दिन पहले ही एसटीएफ ने केएलओ उग्रवादी समूह के सदस्य धन कुमार बर्मन को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया है । उस घटना के बाद सोशल मीडिया पर केएलओ और उग्रवादियों के वीडियो संदेश प्रकाशित हुए, जिससे कूचबिहार जिले में खलबली मच गई। वहीं, सवाल उठाए जा रहे है कि क्या केएलओ उग्रवादी संगठन फिर से आगे बढ़ रहा है? तृणमूल कांग्रेस दावा कर रही है कि केएलओ और उग्रवादी संगठनों के भाजपा विधायकों के साथ अदृश्य संबंध हैं।
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति में आने वाले कोच राजवंशी समुदाय तरफ से कमतापुर की माग उठी। 1995 में कमतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (केएलओ)नामक हथियारबंद संगठन के गठन के बाद पहली बार यह माग शुरू की थी। उत्तर बंगाल के 8 में से 7 जिलों के अलावा असम के कोकराझार, धुबरी, बोंगाईगाव, बिहार का किशनगंज और नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र को इसमें शामिल करने की मांग की। इस आदोलन की माग में कोच राजबंशीलोगों के सामने आ रही समस्याओं बेरोजगारी, जमीन के मुद्दे के साथ ही कमतापुरी भाषा, पहचान और आíथक पिछड़ापन शामिल था। साल 2000 के बाद नेतृत्व को लेकर पैदा हुए संकट के साथ ही इसको और ऑल कामतापुर स्टूडेंट्स यूनियन के कई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद यह आदोलन भी लगभग समाप्त हो गया। वर्ष 2003 में आपरेशन ऑल आउट में तो इस आंदोलन की रीढ़ की हड्डी ही तोड़ दी गयी थी।
राजवंशी समुदाय और कोच समुदाय दोनों खुद को एक मानते है। उनका कहना है कि देश को स्वतंत्रता मिलने से पहले कूचबिहार अलग राज्य था। आजादी के बाद जनवरी 1949 में हुए तीन समझौतों के जरिए कूचबिहार का भारत में विलय हो गया। इसके बाद 1950 में केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती कूचबिहार साम्राज्य को दो हिस्सों में बाट दिया। एक पश्चिम बंगाल में और दूसरा असम में गया। साल 1998 में ग्रेटर कूचबिहार पीपल्स असोसिएशन का गठन हुआ, जिसके महासचिव बने बंशी बदन बर्मन। अलग राज्य दिए जाने की माग उठने लगी, जिसमें उत्तर बंगाल के 7 जिलों के साथ ही असम के कोकराझार, बोंगाईगाव और धुबरी का इलाका शामिल था। वर्ष 2005 में कूचबिहार मे आंदोलन के दौरान एक एसीपी समेत कई पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी। आदोलन के नेता बर्मन और 55 अन्य को साल 2005 में गिरफ्तार कर लिया गया था। 2008 में पार्टी ने नेताओं की रिहाई के लिए भूख हड़ताल भी किया था। इस अलग राज्य की माग ने कभी ज्यादा रफ्तार नहीं पकड़ी और लगभग 10 सालों तक प्रदर्शन और हड़ताल के बाद यह आदोलन भी ठंडा पड़ गया। आज ममता सरकार ने इसके नेताओं को उचित स्थान बोर्ड गठित कर स्थान दिया है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.