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रानजीतिक सरगर्मी के बीच उत्तर बंगाल दौरे पर पहुंचें राज्यपाल जगदीप धनखड़

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सिलीगुड़ी। जीटीए, सिलीगुड़ी महकमा परिषद् चुनाव और जीटीए चुनाव के विरोध में गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरुंग के जारी अनशन के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ का उत्तर बंगाल दौरे पर पहुँच गए है। राज्यपाल आज सुबह 10.30 बजे बागडोगरा हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे। जानकारी के मुताबिक़ बागडोगरा से दार्जिलिंग में अपने कैंप कार्यालय के लिए रवाना हो गए। हालाँकि बागडोगरा एयरपोर्ट पर उन्होंने राज्य सरकार की नीतियों पर जमकर प्रहार किया और कहा कि तृणमूल राज में न्यायपालिका के आदेशों का भी उलंघन किया जा रहा है।
आपको बता दें कि बंगाल की ममता सरकार ने राज्यपाल को सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने के साथ-साथ निजी विश्वविद्यालयों में भी उनके अधिकार सीमित करने की कवायद शुरू कर दी है। राज्यपाल को निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर का दर्जा प्राप्त है। लेकिन, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह दर्जा अब उनकी जगह राज्य के शिक्षा मंत्री को देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है।
गौरतलब है कि 2014 में निजी विश्वविद्यालयों के लिए कानून तैयार हुआ था। इसमें राज्यपाल को विजिटर का दर्जा देते हुए कहा गया था कि इस पद पर आसीन व्यक्ति निजी विश्वविद्यालयों के बारे में समस्त जानकारी मांग सकते हैं। अब इस कानून में बदलाव के बारे में सोचा जा रहा है। बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच का विवाद किसी से छिपा नहीं है। इसी के मद्देनजर ये कदम बताए जा रहे हैं। ममता मंत्रिमंडल ने राज्यपाल के खिलाफ बड़ा फैसला लेते हुए कहा था कि बंगाल के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी होंगी। इसके फलस्वरूप राज्यपाल का सरकारी विश्वविद्यालयों पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं रहेगा। ममता सरकार इसे लेकर विधानसभा में बिल लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल अगर इस बिल का मंजूरी नहीं देंगे तो इस बाबत अध्यादेश लाया जाएगा। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के लिए जल्द विधानसभा में बिल पेश किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
गौरतलब है कि बंगाल के 24 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल ने आरोप लगाया था कि उनकी यानी कुलाधिपति की मंजूरी के बिना और आदेशों की अवहेलना करते हुए ऐसा किया गया। जल्द ही इन्हें वापस नहीं लिया गया तो मजबूरन कार्रवाई की जाएगी। वहीं इससे पहले राजभवन में राज्यपाल की ओर से बुलाई गई बैठक में निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के शरीक नहीं होने को लेकर भी विवाद हुआ था।


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