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आजमगढ़ से विजयी होने के बाद बोले निरहुआ-जनता के साथ- साथ मां के आशीर्वाद ने दिलाई जीत, मनोज तिवारी और रवि किशन रहे आइडियल

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लखनऊ। निरहुआ सटल रहे…। भोजपुरी सिंगर दिनेश लाल यादव का यह गाना काफी लोकप्रिय हुआ था और इसी तर्ज पर उन्होंने आजमगढ़ में जीत हासिल कर ली है। समाजवादी पार्टी के गढ़ में अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव को 8,000 वोटों के करीबी अंतर से हराने वाले दिनेश लाल यादव 2019 के चुनाव में भी अखिलेश यादव के मुकाबले उतरे थे। तब उन्हें सपा चीफ के मुकाबले करीब 2 लाख 60 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। यह हार भले ही वोटों के अंतर के मामले में बड़ी थी, लेकिन ‘निरहुआ’ का हौसला उससे कहीं बड़ा था और वह लगातार आजमगढ़ के दौरे करते रहे। वहां लोगों से मुलाकातें करते रहे।
आजमगढ़ में जीते बिना भी सटल रहे निरहुआ
आजमगढ़ की राजनीति को समझने वाले मानते हैं कि निरहुआ का हार के बाद भी संसदीय क्षेत्र के दौरे करना और लगातार संपर्क करना भी उनके पाले में गया है। दिनेश लाल यादव को 2019 के आम चुनाव के दौरान 360255 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट रहे अखिलेश यादव ने 619594 वोट पाकर बंपर जीत हासिल की थी। तब से अब तक तीन साल का वक्त बीत चुका है और समाजवादी पार्टी कैंडिडेट को मिले वोटों में भी तीन लाख से ज्यादा की कमी आई है। हालांकि तब बसपा और सपा के बीच गठबंधन था।
अपने हिस्से के वोट भी सपा ने खोए, तभी मिली निरहुआ को जीत
इस बार बसपा अलग से चुनाव लड़ी है और उसके उम्मीदवार गुड्डू जमाली को 2 लाख 66 हजार वोट मिले हैं, जबकि सपा के धर्मेंद्र यादव को 3 लाख 3 हजार के करीब वोट हासिल हुए हैं। इस तरह दोनों के वोट मिला भी दें तो यह आंकड़ा 5 लाख 70 हजार बैठता है, जबकि 2019 में अखिलेश यादव 6 लाख 19 हजार वोट मिले थे। साफ है कि सपा के वोटों में 50 हजार वोटों की और कमी आई है और यही दिनेश लाल यादव की जीत की वजह बनी है, जिन्हें 3,12,432 वोट हासिल हुए हैं। साफ है कि मतदान में कमी के बाद भी निरहुआ के वोटों में ज्यादा कमी देखने को नहीं मिली, जबकि सपा को बसपा के कैंडिडेट ने तो नुकसान पहुंचाया ही है। खुद अपने हिस्से के कुछ वोट भी उसने खोए हैं।
निरहुआ जनता के साथ – साथ मां के आशीर्वाद
निरहुआ ने कहा, “मैं लोगों के प्यार, अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और दिग्गज नेताओं के मार्गदर्शन के कारण जीता हूं। सबसे बढ़कर, मेरी मां का आशीर्वाद मेरे लिए था।”अपने फिल्मी करियर और राजनीति में संतुलन के बारे में बात करते हुए, निरहुआ ने कहा, “मेरे पास पहले से ही 12 फिल्में हैं, जहां मैंने अपना काम पूरा कर लिया है। ये फिल्में अगले दो साल में रिलीज होंगी। इसलिए, मैं अपना सारा समय आजमगढ़ को समर्पित कर सकता हूं।”
मनोज तिवारी और रवि किशन रहे आइडिय
भोजपुरी स्टार से लेकर बिग बॉस के प्रतियोगी और अब सांसद निरहुआ ने राजनेता बनने तक का लंबा सफर तय किया है। राजनीति में अपने साथी कलाकारों मनोज तिवारी और रवि किशन की सफलता को देखकर निरहुआ ने भी चुनाव लड़ने का फैसला किया और साल 2019 में भाजपा के टिकट पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि वह सपा अध्यक्ष से हार गए, लेकिन उन्होंने आजमगढ़ से हार नहीं मानी और निर्वाचन क्षेत्र का दौरा जारी रखा। हाल ही में संपन्न हुए उपचुनावों में निरहुआ की जीत ने इस हार का बदला लिया।


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