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अटलांटिक महासागर में 3KM नीचे मिले रहस्यमय दर्जनों ‘दरवाजे’, क्या दूसरी दुनिया आने-जाने का है रास्ता?

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वॉशिंगटन। मध्य अटलांटिक में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पर्वत श्रृंखला की खोज करते वक्त रहस्यमयी छेदों की खोज की है, जिसे देखने के बाद खोजकर्ताओं की टीम काफी हैरान रह गई है। अथाह समंदर में वैज्ञानिकों को करीब 2.7 किलोमीटर नीचे दर्जनभर छेद मिले हैं, जो किसी दरवाजे की तरफ दिखाई दे रहे हैं और ऐसा लग रहा है, कि इन छेदों का निर्माण कहीं आने जाने के लिए किया गया होगा। अमेरिका के नैशनल ओसेनिक एंड एट्मस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन यानि NOAA ने इन रहस्यमय छेदों की खोज की है।
समंदर में मिले छेदों का राज क्या?
एनओएए ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर इन छेदों को लेकर कई तस्वीरें डाली हैं और लोगों से इन छेदों के बारे में मदद मांगी है। देखने में ये सभी छेद एक सीधी लाइन में बने हुए लग रहे हैं और वैज्ञानिक इसलिए हैरान हैं, कि आखिर समुद्र में करीब तीन किलोमीटर अंदर इन्हें किसने बनाया है और इन छेदों को बनाने का मकसद क्या है? अमेरिकी वैज्ञानिकों ने समुद्र के अंदर ये खोज 23 जुलाई को की है और तस्वीरों को देखने पर पता चलता है, कि ये सभी डॉट्स लगभग सीधी रेखाओं … या ट्रेल्स … या डिज़ाइन में जुड़े हुए हैं।
छेदों को लेकर वैज्ञानिक हैरान
एनओएए महासागर अन्वेषण अभी तक सुनिश्चित नहीं है, कि इसे कैसे समझाया जाए। एनओएए ओशन एक्सप्लोरेशन ने बताया कि, “हमने तलछट में छेद के इन सबलाइनियर सेटों में से कई को देखा। इन छेदों को पहले इस क्षेत्र से सूचित किया गया है, लेकिन उनकी उत्पत्ति एक रहस्य बनी हुई है।” उन्होंने कहा कि, ” प्रारंभिक तौर पर ऐसा लग रहा है, कि इन छेदों को इंसानों के द्वारा बनाया गया है और छिद्रों के चारों ओर तलछट के छोटे-छोटे ढेर को देखने पर ऐसा लगता है, कि इन्हें खुदाई करके बनाया गया है’। लेकिन, वैज्ञानिकों को आश्चर्य इसलिए है, कि कोई साधारण इंसान ऐसा कर नहीं सकता है, तो फिर उन्हें किसने बनाया है, ये एक बड़ा सवाल है। अज़ोरेस के उत्तर में एक पानी के नीचे ज्वालामुखी के शिखर पर जाने के दौरान 23 जुलाई का गोताखोरो की टीम ने समु्द्र में 1.7 मील की गहराई तक पहुंच गई थी और इन खोजों को सुरक्षित रूप से रिकॉर्ड करने के लिए उन्होंने दूर से संचालित कैमरे का उपयोग किया था।
एनओएए ने मांगी लोगों से मदद
एनओएए ने तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट की हैं जो दिखाती हैं कि छेद एक सपाट रेतीली सतह में पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने जनता को सिद्धांतों की पेशकश करने के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन टिप्पणीकारों ने और सवाल उठाए हैं, जिनमें कुछ ऐसे भी विशेषज्ञ शामिल हैं, जो सोचते हैं कि क्या छेद किसी कोर नमूने लेने के लिए बनाए गये हैं? एंथनी नरेहुड नाम के एक विशेषज्ञ ने सवाल उठाते हुए पूछा कि, “क्या वह छेद के अंदर कोई वस्तु या जानवर है? क्या वह रेखा उसी दिशा में चलती है जिसमें धारा बहती है?” वहीं, माइक वेदरस्बी ने पोस्ट करते हुए पूछा, कि क्या वो “भूमिगत झरनें हो सकते हैं?” वहीं, एडुआर्डो पोगोरेल्स्की ने कहा कि, ‘मीथेन गैस निकलने की वजह से ऐसा हो सकता है?’
वॉयज टू द रिज 2022 अभियान
यह खोज वॉयज टू द रिज 2022 अभियान के हिस्से के रूप में की गई थी, जो “चार्ली-गिब्स फ्रैक्चर ज़ोन, मिड-अटलांटिक रिज और अज़ोरेस पठार के खराब समझे जाने वाले गहरे पानी के क्षेत्रों” की खोज और मैपिंग कर रही है। एनओएए ओशन एक्सप्लोरेशन का कहना है कि, मिड-अटलांटिक रिज उत्तर से दक्षिण तक 10,000 मील तक फैला है,और इसे “दुनिया की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला और पृथ्वी पर सबसे प्रमुख भूवैज्ञानिक विशेषताओं में से एक” माना जाता है।
एनओएए की रिपोर्ट में क्या है?
एनओएए की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘ये क्षेत्र ऐसे हैं, जिनकी अभी तक खोज नहीं की गई है और इस तरफ अभी तक लोग नहीं आए हैं। यहां पर टेक्टोनिक का प्रसार एक्टिव रहा है और इस जगह पर लगातार भूकंप आते रहते हैं।’एनओएए की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, “हाइड्रोथर्मल वेंट की वजह से इन छेदों का निर्माण होना संभल है, क्योंकि, मैग्मा गर्मी उगलता है और फिर हो सकता है, कि इससे समुद्र के अंदर छेद बन गये होंगे। ये वेंट विविध केमोसिंथेटिक समुदायों का समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, इन साइटों पर जीवन के बारे में बहुत कम जाना जाता है’। हालांकि, कई विशेषज्ञों का कहना है कि, अगर मैग्मा से ये छेद बने हैं, तो फिर वो एक सीधी रेखा में क्यों हैं और मैग्मा से बनने वाले छेद अलग तरह के होते हैं।


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