इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में मिला 8000 साल पुराना मंदिर, जानिए किस देवता की होती थी पूजा, हिन्दू सभ्यता पर लगी मुहर
रियाद। इस्लाम सबसे पहले सऊदी अरब में आया। इस्लाम के आने से पहले सऊदी अरब में लोग कौन सा धर्म मानते थे? इस सवाल का जवाब वहां की राजधानी रियाद के दक्षिण-पश्चिम में स्थित बंदरगाह शहर अल-फा से मिला है। अल-फा में खोदाई के दौरान प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं। मंदिर के अवशेषों में एक वेदी भी है। माना जा रहा है कि वहां पूजा-पाठ और यज्ञ हुआ करता था। खोदाई कर रहे पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक यहां बड़ा परिसर था और ये करीब 8000 साल पहले बनाया गया था। नई तकनीकी वाली मशीनों से पूरे इलाके को खोदा जा रहा है। इसके साथ एरियल फोटोग्राफी, रिमोट और लेजर सेंसिंग भी की जा रही है।
मंदिर तुवाईक नाम की पहाड़ी के पास
सऊदी गजट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अल-फा में लगातार खोदाई का काम पुरातत्ववेत्ता कर रहे थे। 40 साल में कई बार इस इलाके की खोदाई हो चुकी है। अब तक तमाम चीजें यहां मिली थीं, लेकिन पहली बार किसी मंदिर के अवशेष मिले हैं। पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक यहां ऐसा समुदाय रहता था, जो बहुत कर्मकांडी था और यज्ञ वगैरा उनकी दिनचर्या में शामिल था। जो अवशेष मिला है, उसे पुरातत्ववेत्ता रॉक कट टेंपल बता रहे हैं। ये मंदिर तुवाईक नाम की पहाड़ी के पास था। बताया जा रहा है कि एक ही चट्टान को काटकर मंदिर बनाया गया था।
यहां एक शिलालेख भी मिला है। जिसमें ‘कहल’ नाम के देवता के बारे में जानकारी दी गई है। इसी जगह एक प्राचीन शहर का पता भी चला है। उस शहर के चारों कोनों पर मीनारें बनी थीं। पानी के कुंड और सिंचाई के लिए नहरें भी बनाई गई थीं। इससे साबित होता है कि सऊदी अरब अब भले ही रेगिस्तान हो, लेकिन पहले वहां काफी मात्रा में पानी मिलता था। फिलहाल मंदिर और प्राचीन शहर की साइट के पास ही कब्रिस्तान भी मिला है। जहां 2807 कब्रें मिली हैं। इससे लगता है कि सऊदी अरब में दाह संस्कार की जगह दफनाने की प्रक्रिया इस्लाम के आने से पहले से रही है।
हिन्दू सभ्यता की पुष्टि ऐसे हुई
सऊदी अरब हेरिटेज कमीशन ने मल्टी नेशनल टीम से सर्वे कराया। सर्वे के लिए एरियल इंवेस्टिगेशन से लेकर जमीन में गहराई तक खुदाई की. कहा जा रहा है कि अल-फॉ में रहने वाले लोग यहां पर पूजा करते हैं और यज्ञ अनुष्ठान उनके जीवन का हिस्सा हुआ करता था।
अल-फॉ में मिले सिर्फ अवशेष ही नहीं, यहां सामने आए धार्मिक शिलालेख बताते हैं कि उस दौर के लोगों को धर्म की कितनी समझ थी। रिपोर्ट के मुताबिक, उस दौर की सभ्यता में जटिल सिंचाई व्यवस्था थी। नहरें, पानी के तालाब के अलावा सैकड़ों गड्ढे खोदे गए थे। यहां से बारिश के पानी को खेतों तक पहुंचाया जाता था।
सिर्फ रहन-सहन ही नहीं, जंग भी होती थी
रिपोर्ट कहती है, उस दौर के मनुष्य रेगिस्तान में भी पानी को बचाने के लिए कठिन परिश्रम करते थे। काफी जद्दोजहद के बाद इस पानी को खेतों तक पहुंचाया जाता था. पत्थरों पर शिलालेख में माधेकर बिन मुनैम नाम के शख्स का जिक्र किया गया है। उस दौर के लोग सिर्फ खेती किसानी ही नहीं, उनमें आपनी टकराव भी होता था। झगड़े और जंग भी होती थी अवशेष में कम्युनिटी के बीच जंग होने के भी संकेत मिले हैं. हेरिटेज कमीशन ने इसलिए सर्वे और खुदाई शुरू कराई है ताकि देश के लोगों को उनकी विरासत की जानकारी मिल सके। इसी दौरान जो अवशेष मिले वो अब दुनियाभर में सुर्खियां बन रहे हैं।
कमीशन का कहना है, अभी यहां पर खुदाई और रिसर्च वर्क जारी रहेगा ताकि इतिहास से जुड़ी नई-नई जानकारियां सामने आ सकें। यहां के लोगों को इस तरह विरासत की जानकारी मिल सकेगी। सऊदी अरब को इस्लाम का सबसे बड़ा गढ़ कहा जाता है क्योंकि यहां मुसलमानों का सबसे पवित्र मक्का मदीना है। इस धर्म से जुड़े दुनियाभर के लोग यहां हज करने पहुंचते हैं। सऊदी अरब सरकार धर्म के साथ अब विज्ञान और रिसर्च से जुड़े मुद्दों को महत्व दे रही है।
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