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जगदीप धनखड़ बने देश के 14वें उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ आज भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। बता दें कि धनखड़ को छह अगस्त को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। धनखड़ विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को हराकर विजेता के रूप में उभरे थे।
जगदीप धनखड़ ने 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली
जगदीप धनखड़ ने आज भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाईं। इस शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने। पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि, जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया।
जगदीप धनखड़ का बचपन और पढ़ाई
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था। पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है। जगदीप अपने चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं। शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई। गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की।
12वीं के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए। स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे।
धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव में मिली थी शानदार जीत
बता दें कि जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव में 528 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंदी विपक्षी उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। धनखड़ ने उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल पड़े वैध मतों में से 72 फीसदी से ज्याद वोटों के साथ जीत हासिल की थी।
धनखड़ ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।


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