सिलीगुड़ी। पर्यावरण को बचने के लिए सिलीगुड़ी के एक स्वयंसेवी संगठन सिलीगुड़ी यूनिक सोशल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से एक अनूठी पहल की शुरुआत की गई है। संगठन की और से पौधों से बानी राखी बांध प्रकृति को हरा-भरा रखने के सन्देश के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया। पौधों से बानी राखी बांधने के पीछे लक्ष्य है कि प्रकृति को हरा-भरा के लिए लोग आगे आये।
राखी उत्सव पूरे देश में भाईचारे और शिष्टाचार का पर्व है। यह शाश्वत बंधन भाइयों और बहनों की सुरक्षा का त्योहार हैं। बताते चले राखी ने समय के साथ अपना स्टाइल भी बदला है। एक समय था जब राखी फूलों से बनाई जाती थी। फिर रंगता मोरा के साथ स्पंज राखी आई। कुछ समय बाद राखी को प्लास्टिक की जगह मिल गई। फिर स्कूली लड़कियों के बीच बुने हुए धागे से राखी बनाने का रिवाज बन गया। उसके बाद बड़ी राखी की जगह छोटी होने लगी। इसके अलावा काफी गहने या आभूषण की राखी भी बनने लगे। इसके अलावे महीन धागा भी एक शानदार चमक के साथ राखी के रूप में आया। जिसके बाद राखी की कीमत में दर ब दर बढ़ोतरी आयी। फिर ब्रांडेड राखी मार्केट में स्टेटस सिंबल बनकर आई। लेकिन आज इन सब किस्मों की राखियों को पीछे छोड़ प्रकृति रक्षक या प्रकृति बंधन मित्र राखी सामने आयी।
Comments are closed.