मथुरा। जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को उच्च राशि के चंद्रमा में मनाई जाएगी। जन्माष्टमी की पूजा खासकर मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में विधि-विधान से की जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है।
भक्तों के लिए व्यापक व्यवस्थाएं
ब्रज भूमि सज संवर रही है। तिराहे-चौराहों को सजाया जा रहा है। कन्हैया के जन्म के दर्शन को श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर आने वाले भक्तों के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
भगवान श्रीकृष्ण का 5249वां जन्मोत्सव
इस बार यह भगवान श्रीकृष्ण का 5249वां जन्मोत्सव होगा। यानि ब्रज के लाडले कृष्ण कन्हाई इस बार 5248 वर्ष के हो गए हैं। भगवान कृष्ण के 5249वें वर्ष में प्रवेश करने पर जन्मोत्सव की तैयारियां व्यापक स्तर पर की जा रही हैं।
जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी तिथि- 18 अगस्त और 19 अगस्त 2022
अष्टमी तिथि आरंभ- गुरुवार 18 अगस्त रात्रि 09: 21 से
अष्टमी तिथि समाप्त- शुक्रवार 19 अगस्त रात्रि 10:59 तक
अभिजीत मुहूर्त- 12:05 -12:56 तक
19 अगस्त का जन्माष्टमी मनाना ज्यादा अच्छा
अष्टमी तिथि 18 और 19 अगस्त दो दिन होने से इस बार कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में जन्माष्टमी कब मनाना उचित रहेगा इसका संक्षिप्त ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं। दरअसल इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त को सुबह के बजाय रात में करीब 9 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो रही है। फिर 19 अगस्त को सूर्योदय से रात तक रहेगी। ऐसे में अष्टमी की उदया तिथि 19 अगस्त को मानी जाएगी। इस उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी तिथि 19 अगस्त का मनाना ज्यादा अच्छा रहेगा।
पुराणों में कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
विष्णु और ब्रह्म पुराण- इस पुराण के अनुसार भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी से कहते हैं कि भादों माह में जब बारिश जोरो पर होती है तब भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मैं जन्म लूंगा।
ब्रह्मवैवर्त पुराण- भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र, वृषभ लग्न के संयोग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
भविष्य पुराण- भगवान स्वंय कहते हैं कि जब सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा वृष राशि में विराजमान होंगे तब भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रात को रोहिणी नक्षत्र में मै जन्म लूंगा।
अग्नि पुराण- अग्नि पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात को हुआ था।
देवीभागवत पुराण- देवीभागवत पुराण श्रीकृष्ण जन्म के बारे में कहता है वृष लग्न, रोहिणी नक्षत्र, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि पर देवकी के गर्भ से जन्म होगा।
हरिवंश पुराण – हरिवंश पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म के समय अभिजित नक्षत्र, जयंती योग और विजय मुहूर्त था।
भगवान कृष्ण की नगरी समेत कई जगहों पर इस बार जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जा रही है, लेकिन पुरी समेत कुछ जगहों पर जन्माष्टमी का त्योहार 18 अगस्त का भी मनाया जा रहा है। इस बार जन्माष्टमी पर 51 मिनट के अभिजीत मुहूर्त का साथ कई अन्य शुभ संयोग भी बन रहा है। जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि की उदया तिथि 19 अगस्त को है।
सिंह,कन्या,तुला और वृश्चिक राशि वाले कैसे करें जन्माष्टमी की पूजा
सिंह राशि- जिन जातकों की राशि सिंह है वे लोग जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को गुलाबी रंग का वस्त्र पहनाएं। मेवे का भोग लगाएं।
कन्या राशि- कन्या राशि वाले कान्हा को हरे रंग का वस्त्र पहनाएं और माखन मिश्री का भोग अर्पित करें।
तुला राशि – इस राशि के जातक भगवान कृष्ण को केसरिया रंग का कपड़ा अर्पित करें और धी और माखन का भोग लगाएं।
वृश्चिक राशि- इस राशि को लोग भगवान कृष्ण को लाल वस्त्र पहनाएं और तुलसी के पत्ते के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
जन्माष्टमी पंचोपचार पूजन विधि
जिनको श्रीकृष्ण की षोडशोपचार पूजा करना संभव ना हो उनको पंचोपचार पूजा करनी चाहिए। पूजन करते समय ‘सपरिवाराय श्री कृष्णाय नमः’ यह नाम मंत्र कहते हुए एक-एक सामग्री श्री कृष्ण को अर्पण करना चाहिए। श्री कृष्ण जी को दही ,पोहा और मक्खन का भोग लगाना चाहिए। उसके पश्चात श्री कृष्ण जी की आरती करनी चाहिए।
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जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करें
श्रीकृष्ण की पूजा में उनकी प्रतिमा को गोपी चंदन का गंध प्रयोग में लाया जाता है। श्रीकृष्ण की पूजा करते समय अनामिका से गंध लगाना चाहिए। श्री कृष्ण जी को हल्दी कुमकुम चढ़ाते समय पहले हल्दी और फिर कुमकुम दाहिने हाथ के अंगूठे और अनामिका मैं लेकर उनके चरणों में अर्पण करना चाहिए। अंगूठा और अनामिका जोड़कर जो मुद्रा तैयार होती है,उससे पूजक का अनाहत चक्र जागृत होता है। उस कारण भक्ति भाव निर्माण होने में सहायता होती है।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के दौरान क्या करें-क्या न करें
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का समय होता है। इसमें रात्रि के समय भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही जोश और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के दौरान हमें क्या कुछ करना चाहिए और क्या नहीं।
– कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में कान्हा को पंचीरी और पंचामृत का भोग जरूर लगाएं।
– कान्हा को भोग लगाते समय सभी चीजों में तुलसी के पत्ते अवश्य डालें।
– कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को नए कपड़े अवश्य ही पहनाएं।
– पूजा में हमेशा साफ कपड़े और साफ बर्तनों का प्रयोग करें।
– कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात को ही करें और घी का दीपक जलाएं।
– कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के दौरान कभी भी किसी के साथ बुरा व्यवहार न करें।
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जन्माष्टमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय
भाद्रपद अष्टमी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल भी जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को है। जन्माष्टमी पर निशीथकाल में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस बार निशीथकाल का समय रात के 12 बजकर 03 मिनय से 12 बजकर 47 मिनट तक है। ऐसे में पूजा के लिए 44 मिनट का शुभ मुहूर्त है।
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