पटना। गूगल सर्च इंजन के डूडल में भारत की एक मशहूर महिला अन्ना मणि की तस्वीर लगी, तो लोगों में मौसम विज्ञान और पूर्वानुमान के तौर-तरीकों के बारे में जानने की ललक पैदा हो गई। दरअसल, भारत के केरल राज्य में जन्मी अन्ना मणि एक मौसम विज्ञानी ही थीं। उन्होंने आधुनिक मौसम विज्ञान के विकास में बड़ा योगदान दिया है। उन्हें मौसम पूर्वानुमान में इस्तेमाल होने वाले विशेष उपकरणों के विकास के लिए जाना जाता था। आपको यह जानकर ताज्जुब हो सकता है कि आधुनिक उपकरणों के आने के पहले भी भारत में मौसम पूर्वानुमान की एक पद्धति विकसित थी। ख्यात कवि घाघ ने मौसम पूर्वानुमान से जुड़ी ढेरों कविताएं लिखी हैं।
खास बात है कि घाघ का जन्म स्थान बिहार ही माना जाता है, हालांकि इसको लेकर थोड़ा विवाद भी है। घाघ का समय बादशाह अकबर के दौरान का बताया जाता है। पीर मुहम्मद यूनिस ने घाघ की कविताओं और कहावतों की भाषा के आधार पर उनका जन्म बिहार के चंपारण या मुजफ्फरपुर जिले उत्तरी सीमा पर माना है।
दुुुर्गा प्रसाद सिंह ने घाघ का जन्म बिहार के छपरा जिले में माना है। इसकी एक बड़ी वजह है कि घाघ की अधिकतर कहावतों की भाषा भोजपुरी या उसके नजदीक है। जाने-माने भाषा विज्ञानी डा. जार्ज ग्रियर्सन ने भी ‘पीजेंट लाइफ आफ बिहार’ में घाघ की कविताओं का पाठ भोजपुरी में संकलित किया है। लोग उनका जन्म यूपी के कन्नौज और गोंडा जिले में भी बताते हैं। हालांकि, इतना तय है कि उन्होंने अपनी कहावतों और कविताओं की रचना कन्नौज के आसपास रहते हुए ही की थी।
घाघ ने अपनी कहावतों में मौसम पूर्वानुमान को लेकर कई गुढ़ बातें बताई हैं। बिहार-यूपी समेत पूरे हिंदी भाषी क्षेत्र का कृषक समाज उनकी कहावतों को आज भी मौसम का हाल जानने के लिए इस्तेमाल करता है। उनकी एक कहावत है – ‘आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान। कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।’ इसका अर्थ है कि अगर आर्द्रा नक्षत्र के आरंभ और हस्त नक्षत्र के अंत में वर्षा नहीं हुई, तो किसान के लिए मुुुश्किल हालात होना तय है।
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