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पीएफआई पर एनआईए की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, 9 राज्यों में की छापेमारी, 247 गिरफ्तार

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नई दिल्ली। चरमपंथी इस्लामी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया‘ (पीएफआई) पर एक बार फिर कार्रवाई शुरू हो गई है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) सहित बाकी जांच एजेंसियां पीएफआई पर दूसरे दौर की छापेमारी में जुट गई हैं। जांच एजेंसियां 9 राज्यों में पीएफआई के 25 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं। रेड के दौरान पीएफआई के कई सदस्यों को हिरासत में भी लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, पीएफआई से जुड़े कई सदस्यों और संस्था के खिलाफ ये कार्रवाई जिन 9 राज्यों में चल रही है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, केरल, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और असम शामिल हैं। एजेंसी की 9 राज्यों में हुई कार्रवाई में कम से कम 247 लोग गिरफ्तार हुए हैं। उत्तर प्रदेश से 44 गिरफ्तारियां हुई हैं. कर्नाटक से 72, असम में 20, दिल्ली में 32, महाराष्ट्र में 43, गुजरात में 15, मध्य प्रदेश में 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों को मिले सबूतों के आधार पर ये कार्रवाई की गई।
सूत्रों के मुताबिक, पीएफआई कनेक्शन में लखनऊ में भी छापेमारी हो रही है। लखनऊ में दो ठिकानों पर एनआईए ने छापेमारी की है। दो संदिग्धों से पूछताछ भी चल रही है। भोपाल में भी पीएफआई के सदस्यों पर कार्रवाई हो रही है। एनआईए ने इंदौर और भोपाल में अलग-अलग इलाकों में फिर छापेमारी की है और चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पीएफआई के 3 सदस्यों को सिर्फ इंदौर से गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद, नांदेड़, सोलापुर, जालना और परभणी में भी पीएफआई से संबंधित ठिकानो पर रेड चल रही है। इस कार्रवाई को एटीएस और स्थानीय पुलिस अंजाम दे रही है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में भी लगभग 8 जिलों में पीएफआई के ठिकानों पर कार्रवाई की सूचना है। दिल्ली के कुछ इलाकों में भी छापेमारी चल रही है। स्पेशल सेल सूत्रों के मुताबिक, राजधानी के निजामुद्दीन और रोहिणी इलाके में आज छापेमारी हो रही है।
इससे पहले, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 22 सितंबर को 15 राज्यों में पीएफआई के 93 ठिकानों पर तलाशी ली थी और इसके 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इन 15 राज्यों में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर शामिल थे। रविवार को केरल पुलिस ने राज्य में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के परिसरों पर छापे मारे थे और मोबाइल फोन तथा लैपटॉप समेत अलग अलग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए थे। वहीं, मुंबई की एक अदालत ने पिछले हफ्ते महाराष्ट्र में पीएफआई के खिलाफ छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किए गए 5 लोगों की ATS हिरासत तीन अक्टूबर तक बढ़ा दी। पांचों आरोपी उन 20 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले गुरुवार को एनआईए के नेतृत्व में देश भर में कई एजेंसियों की छापेमारी में महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने राज्य से गिरफ्तार किया था।
इस्लामी शासन की स्थापना की रची साजिश
इस छापेमारी को लेकर एनआईए ने दावा किया है कि पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है। कोच्चि (केरल) में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया। एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले के संबंध में 10 आरोपियों की हिरासत की मांग करते हुए 22 सितंबर को अदालत में रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची।
पीएफआई के निशाने पर थे कई प्रमुख नेता
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएफआई “लोगों के एक वर्ग के समक्ष सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने और सत्ता तथा उसके अंगों के खिलाफ घृणा का भाव उत्पन्न करने का काम करता है”। एजेंसी ने कहा, ‘जांच में सामने आया है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे। वे समाज के अन्य धार्मिक वर्गों और आमजन के बीच दहशत पैदा करने का काम करते थे। रिपोर्ट के मुताबिक, छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में ऐसी सामग्री पाई गई है, जिससे पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था। इस ‘हिट लिस्ट’ से मालूम होता है कि पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था. इस संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था।’


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