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दीवार घड़ी बनाने वाले ओरेवा ग्रुप को मोरबी पुल की मरम्मत का कैसे मिला ठेका, क्या इसमें भी कोई गड़बड़ी हुई?

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  • नयी दिल्ली। गुजरात के मोरबी शहर में केबल पुल टूटने के बाद जांच के घेरे में आए ओरेवा ग्रुप को सीएफएल बल्ब, दीवार घड़ी और ई-बाइक बनाने में विशेषज्ञता हासिल है लेकिन अभी यह पता नहीं चला है कि उसे 100 साल से भी अधिक पुराने पुल की मरम्मत का ठेका कैसे मिल गया ? गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर केबल पुल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को 134 हो गई है।
    करीब पांच दशक पहले ओधावजी राघवजी पटेल द्वारा स्थापित कंपनी मशहूर अजंता तथा ओरपैट ब्रांड के तहत दीवार घड़ी बनाती है।
    पटेल का 88 वर्ष की आयु में इस महीने की शुरुआत में निधन हो गया था। वह 1971 में 45 साल की उम्र में कारोबार में हाथ आजमाने से पहले एक स्कूल में विज्ञान के शिक्षक थे।
    करीब 800 करोड़ रुपये की आय वाला अजंता ग्रुप अब घरेलू और बिजली के उपकरण, बिजली के लैम्प, कैलकुलेटर, चीनी मिट्टी के उत्पाद और ई-बाइक बनाता है। मच्छु नदी पर बना केबल पुल सात महीने पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था तथा इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के मौके पर फिर से खोला गया था। यह ‘झूलता पुल’ के नाम से मशहूर था। इस साल मार्च में ओरेवा ग्रुप को मोरबी नगर निकाय ने पुल की मरम्मत और देखरेख का ठेका दिया था। ऐसा आरोप है कि पुल को बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के खोल दिया गया।
    कंपनी के प्रबंधन से इस पर टिप्पणी नहीं मिल सकी है लेकिन समूह के प्रवक्ता ने दुर्घटना के तुरंत बाद कहा था कि पुल इसलिए टूटा क्योकि ‘‘पुल के मध्य में कई सारे लोग इसे एक तरफ से दूसरी तरफ झुलाने की कोशिश कर रहे थे।’’
    अजंता ट्रांजिस्टर क्लॉक मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी के तहत दीवार घड़ी बनाने से शुरुआत करने वाले मोरबी स्थित ओरेवा ग्रुप ने कई क्षेत्रों में अपना कारोबार फैलाया। ओरेवा ग्रुप ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि उसके यहां 6,000 से अधिक लोग काम करते हैं लेकिन उसने अपने निर्माण कारोबार का कोई उल्लेख नहीं किया है।उद्योग जगत में कम लागत के लिए पहचाने जाने वाला ओरेवा ग्रुप देशभर में 55,000 साझेदारों के जरिए अपने उत्पादों को बेचता है। गुजरात के कच्छ में समाखियाली में उसका भारत का सबसे बड़ा विनिर्माण संयंत्र है जो 200 एकड़ से भी अधिक में फैला हुआ है।
    पांच महीने से बंद पुल को पिछले हफ्ते ही खोला गया था
    छुट्टी का दिन होने के कारण रविवार की शाम करीब साढ़े छह बजे पुल पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, तभी यह दर्दनाक हादसा हो गया। हादसे में अब तक 132 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मरनेवालों की कुल संख्या 150 तक जा सकती है। फिलहाल दुर्घटनास्थल का नजारा हृदय को छलनी करनेवाला है। जहां अफरातफरी के बीच शवों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। ऐसे तो गुजरात के मोरबी में मच्चू नदी पर बना स्पेंशन ब्रिज 140 पुराना था पर रखरखाव से जुड़े कार्य करवाने के लिए पिछले कुछ समय से ब्रिज बंद था और उसे दोबारा पिछले हफ्ते (26 अक्तूबर 2022) ही खोला गया था। मोरबी जिले के कलेक्ट्रेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पुल को 19वीं सदी की इंजीनियरिंग का अजूबा (Engineering Marvel) माना जाता था। यह मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति का प्रतीक था।
    15 वर्षों के लिए ओरेवा ग्रुप को दी गई थी पुलिस के रख-रखाव की जिम्मेदारी
    मच्चू नदी पर बने सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव का जिम्मा गुजरात की एक प्रतिष्ठित कंपनी ओरेवा ग्रुप के पास थी। बता दें कि ओरेवा ग्रुप वही कंपनी है जो घर-घर में मौजूद अजन्ता ब्रांड की घड़ियों का निर्माण करती है। ओरेवा ग्रुप को कंपनी के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी 15 वर्षों के लिए दी गई थी। इसी वर्ष मार्च में ब्रिज के पुनरुद्धार के लिए इसे बंद कर दिया गया था। इसे बीते 26 अक्तूबर को ही गुजराती नववर्ष के मौके पर दोबारा खोला गया था। ब्रिज की सैर के लिए कंपनी लोगों से 17 रुपये प्रति व्यक्ति का शुल्क भी वसूल रही थी।
    घड़ी से लेकर ई-बाइक्स तक बनाती है ब्रिज का रखरखाव करने वाली कंपनी
    सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव का जिम्मा संभालने वाली मोरबी स्थिति ओरेवा ग्रुप अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी प्रचलित है। कंपनी दीवार घड़ियों से लेकर ई-बाइक्स और इलेक्ट्रिकल बल्व तक का निर्माण करती है। हादसे के बाद कंपनी लोगों के निशाने पर आ गई है। पुल का मेंटेनेंस कार्य हासिल करने से पहले कंपनी ने दावा किया था कि वह नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल से पुल को इस रूप में विकसित करना चाहती है जिससे दीवार घड़ियों के निर्माण के लिए पहले से मशहूर मोरबी को एक नई पहचान मिले।
    45 देशों तक फैला है ओरेवा ग्रुप का कारोबार
    ओरेवा ग्रुप के संस्थापक ओधवजी पटेल थे। कंपनी का कारोबार फिलहाल दुनिया के 45 देशों तक फैला है। कंपनी के पास लगभग 7000 कर्मचारी हैं, जिनमें 5000 महिलाएं हैं। कंपनी घड़ी और ई-बाइक्स बनाने के साथ-साथ किसानों के लिए जल संचयन का भी कार्य करती है। कंपनी ऊर्जा का बचत करने वाले एलईडी बल्स, कैलकुलेटर्स और टाइल्स का भी निर्माण करती है। गुजरात के मोरबी और कच्छ जिले में ओरेवा ब्रांड के नाम से कंपनी स्नैक्स के कारोबार में भी दखल रखती है।
    दीवार घड़ियों के पिता के तौर पर मशहूर थे कंपनी के संस्थापक
    कंपनी का मुख्यालय अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर मौजूद थालतेज सर्कल पर स्थित है। अक्तूबर 2012 में ‘दीवार घड़ियों के पिता’ के तौर पर मशहूर ओधवजी पटेल की मौत के बाद उनके बेटे जयसुख ओधवजी ओरेवा समूह का कारोबार संभाल रहे हैं। कंपनी का टर्नओवर करीब 800 करोड़ रुपये का है। जयसुख ओधवजी को वर्ष 2020 में गुजरात के अहमदाबाद पश्चिम लोकसभा सीट के सांसद कीर्ति सोलंकी ने ‘नव नक्षत्र सम्मान’ नाम के बिजनेस अवार्ड से भी सम्मानित किया था।
    कहां हुई चूक जिसके कारण 132 लोगों को गंवानी पड़ी जान?
    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुल का जीर्णोद्धार करने वाले जिंदल ग्रुप ने इस ब्रिज के लिए 25 साल की गारंटी दी थी। हालांकि कंपनी ने ब्रिज पर एक साथ 100 लोगों को चढ़ने देने की इजाजत देने की बात कही थी। इस ब्रिज का फिटनेस सर्टिफिकेट और सरकार के तीन एजेंसियों के द्वारा जांच होना बाकी था। लेकिन दीपावली के दौरान हड़बड़ी में जय सुख भाई पटेल ने अपनी पौत्री के हाथों इस ब्रिज का उद्घाटन करवा दिया। बताया गया है कि हादसे के वक्त ब्रिज पर 500-700 लोग थे।
    मोरबी नगरपालिका का आरोप- सरकारी टेंडर के तहत काम हुआ, फिर भी नहीं कराई गई जांच
    हादसे के बाद मोरबी नगरपालिका के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने कहा है कि कंपनी ने नगरपालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट लिए बिना ही बीते हफ्ते पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया। उनके अनुसार पुल जीर्णोद्धार का कार्य एक सरकारी निविदा के तहत किया गया था, ऐसे में ओरेवा ग्रुप को कराए गए कार्य की विस्तृत जानकारी नगरपालिका को उपलब्ध करानी चाहिए थी। उन्हें पुल को दोबारा शुरू करने से पहले क्वालिटी जांच भी करवानी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं किया गया। सरकार को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुल को दोबारा चालू कर दिया गया है।
    एफआईआर में ओरेवा ग्रुप या उससे जुड़े किसी व्यक्ति का नाम नहीं
    आपको बता दें कि फिलहाल हादसे के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर में जयसुख या ओरेवा ग्रुप का नाम कहीं दर्ज नहीं है। पुलिस ने अब तक इस मामले में किसी आरोपित को चिह्नित नहीं किया है। हां, ब्रिज के मेंटेनेंस का काम करने वाली एजेंसी, उसके प्रबंधकों और अन्य के खिलाफ शिकायत जरूर दर्ज की गई है, पर उनके बारे में फिलहाल कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। हादसे की जांच का कार्य डीएसपी पीए जाला को सौँपा गया है। पुलिस का कहना है कि यह लापरवाही का मामला है।
    कच्छ क्षेत्र में जल उपयोग परियोजना के लिए भी ग्रुप दिया था प्रोजेक्ट रिपोर्ट
    अक्टूबर 2021 में जयसुख पटेल की ओर से 200 करोड़ रुपये की जल उपयोग परियोजना की परिकल्पना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसका समर्थन किया था। 7 अक्टूबर 2021 को, शाह ने परियोजना के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए पटेल के साथ बैठक भी की थी। बता दें कि पटेल ने उस दौरान कच्छ क्षेत्र के 4,900 वर्ग किलोमीटर के छोटे रण को रण सरोवर नामक एक विशाल मीठे पानी की झील में बदलने का प्रस्ताव रखा था, जो एक सड़क पर आ गई थी।

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