वॉशिंगटन/बीजिंग: संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक दुनिया की आबादी 15 नवंबर को 8 अरब के जादुई आंकड़े को पार कर जाएगी। विश्व जनसंख्या संभावना 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आबादी साल 2080 के आसपास अपने चरम पर पहुंच जाएगी। इस दौरान जनसंख्या के 10.4 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत साल 2023 तक चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस बीच इस रिपोर्ट से चीन में कम बच्चे पैदा होने का अनुमान लगाया गया है जिससे ड्रैगन टेंशन में आ गया है।
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कई विवाहित युवा केवल एक ही बच्चा पैदा करना चाहते हैं जबकि सरकार की कोशिश है कि लोग कम से कम 3 बच्चे पैदा करें। हालत यह है कि युवा शादी ही नहीं करना चाहते हैं। दरअसल, चीन में बच्चों को पालन बहुत खर्चीला होता जा रहा है। यही नहीं चीन में कई ऐसे भी परिवार हैं जो अपने दादा-दादी की मदद नहीं कर पा रहे हैं जो बहुत दूर रहते हैं। एक चीनी महिला तांग ने बताया कि बहुत सी चीनी लड़कियां अब काफी देरी से शादी कर रही हैं जिससे उनका गर्भवती होना कठिन हो गया है।
अगले साल से कम होनी शुरू हो जाएगी चीन की आबादी
तांग ने कहा कि देरी से शादी करने का बच्चों की जन्मदर पर निश्चित रूप से असर पड़ रहा है। दरअसल, चीन लंबे समय तक दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश रहा है। यही वजह है कि चीन ने बहुत सख्त एक बच्चे की नीति को साल 1980 से 2015 के बीच लागू किया ताकि जनसंख्या को काबू में रखा जा सके। अब संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि चीन की आबादी अगले साल से कम होनी शुरू हो जाएगी। भारत साल 2023 में चीन को आबादी में पीछे छोड़ देगा।
चीन में फर्टिलिटी रेट साल 2021 में 1.16 था जो जनसंख्या की स्थिरता के लिए जरूरी मानक 2.1 के तुलना में काफी कम है। चीन की यह दर दुनिया में सबसे कम फर्टिलिटी रेट वाले देशों की लिस्ट में शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी, चीन के काफी कड़े नियमों का भी असर यह हुआ है कि लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं। चीन में इस साल बच्चों के पैदा होने की दर रेकॉर्ड स्तर पर नीचे रह सकती है। यह गिरकर 1 करोड़ हो सकती है जो पिछले साल 1 करोड़ 60 हजार थी।
चीन में बुजुर्ग होती आबादी बहुत तेजी से बढ़ेगी
देश की घटती आबादी से घबराए चीन ने पिछले साल कपल्स को 3 बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी थी। वहीं सरकार ने यह भी कहा है कि वह जन्मदर को ‘समुचित’ बनाए रखने के लिए काम कर रही है। वहीं योजनकारों के लिए कम होती आबादी नई परेशानियां लेकर आई है। हॉन्ग कॉन्ग के चाइनीज यूनिवर्सिटी के एक प्रफेसर शेन जैनफा कहते हैं, ‘हम अपेक्षा कर रहे हैं कि बुजुर्ग होती आबादी बहुत तेजी से बढ़ेगी। चीन यह बहुत महत्वपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है जो 20 साल पहले से अलग है।’ चीन में अभी 65 साल की उम्र वाले लोगों की संख्या कुल आबादी का 13 प्रतिशत है। कम आबादी से चीन को आने वाले समय में मजदूरों की किल्लत का सामना करना होगा जो दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है।
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