गोरखपुर। गोरखपुर में एक पिता और दो नाबालिग पुत्रियों के एक साथ खुदकुशी करने के मामले ने सभी को हैरान कर दिया है। मृतक जितेंद्र के बूढ़े पिता ने मंगलवार को जब एक पंखे पर अपनी दोनों पोतियों और दूसरे कमरे के पंखे पर अपने बेटे को लटका देखा, तो एक पल में उनकी दुनिया उजड़ गई। जिले के घोसीपुरवा कॉलोनी में मृतक जितेंद्र अपने बूढ़े पिता और दो बेटियों मान्या (16) और मानवी (14) के साथ रहते थे। पुलिस को अब इस मामले में बड़ी बेटी मान्या की लिखी एक डायरी हाथ लगी है। डायरी में परिवार किस दौर से गुजर रहा था उसका पूरा ब्यौरा है। डायरी के कुछ पन्ने इतने भावुक हैं कि सुनने वाले का दिल पसीज जाए। डायरी में मान्या ने अपने दिव्यांग पिता जितेंद्र के संघर्ष के बारे में भी लिखा है कि कैसे वह अपने नकली पैर से सिलाई की मशीन चलाया करते थे। दोनों बच्चियों की मां कुछ साल पहले ही कैंसर से गुजर गयी थीं। जिसके बाद से उनके ऊपर से मां का साया भी उठ गया था। डायरी के एक पन्ने में मान्या ने अपना दर्द बयां करते हुए लिखा है कि जिंदगी बहुत कठोर है, इतनी कठोर मत बनो जिंदगी।
मान्या की डायरी में है इन बातों का जिक्र
मान्या ने अपनी पर्सनल डायरी में अपना दर्द इंग्लिश में लिखा था। मान्या ने डायरी में लिखा कि जिंदगी हर वक्त हमें परेशान ही कर रही है। कभी मन करता है कि जिंदगी को ही खत्म कर दूं। पता नहीं कौन लोग हैं, जो मेरे परिवार को बर्बाद करना चाहते हैं और शायद मुझे पता है, वे कौन लोग हैं। वे हमें खुश नहीं देखना चाहते। मान्या डायरी में लिखती है कि मैं अब और लिखना नहीं चाहती हूं, जैसे ही सब कुछ ठीक होगा मैं खुद डायरी के पन्नों को फोड़ दूंगी। इसके अलावा एक पन्ने पर लिखा गया है कि प्लीज जस्ट स्टॉप इट आई वांट टू टेक रेस्ट(ये सब बंद कर दो मैं अब आराम करना चाहती हूं)। वहीं डायरी में एक जगह मान्या ने लिखा कि जिंदगी बहुत कठोर है, इतनी कठोर मत बनो जिंदगी।
ब्रिलियंट छात्रा थी दोनों नाबालिग बहनें
मान्या और मानवी दोनों ही ब्रिलियंट छात्रा थीं। यह दोनों घर के पास स्थित सेंट्रल एकेडमी में पढ़ती थीं। स्कूल की प्रिंसिपल निवेदिता कौशिक ने बताया कि मान्या और मानवी दोनों एक ब्रिलियंट छात्रा थीं। मान्या क्लास 9 में पढ़ती थी, और मानवी क्लास 7 में। वहीं बड़ी बहन मान्या के हाफ इयरली एग्जाम में 86.66% थे, तो छोटी बहन मानवी के 73.9% मार्क्स थ। परिवार ने ओरली स्कूल प्रशासन से फीस को लेकर कहा था कि फीस में कुछ लेट हो जाएगा। बच्चियों को पढ़ने दिया जाए, जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने भी सहूलियत से फीस जमा करने की बात कही थी, हालाकी फीस बाकी थी लेकिन पढ़ाई जारी रही।
ट्रेन हादसे में पिता ने गवां दिया था एक पैर
मान्या और मानवी के घर को मानो किसी की नजर सी लग गई थी। पिता के साथ हुए हादसे के बाद परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। 20 साल पहले गांव से गोरखपुर आते समय पिता जितेंद्र का मैरवा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से एक पैर कट गया था। जिसके बाद वह कृत्रिम पैर के सहारे अपना काम कर रहे थे। जबकि जितेंद्र की पत्नी सिम्मी को कैंसर था, और 2 साल पहले वह गुजर चुकी थी। उससे 6 महीने पहले जितेंद्र की मां का भी निधन हो गया था। जितेंद्र और उनके भाइयों के बीच बंटवारा हो चुका था। वहीं जितेंद्र अपने कृत्रिम पैर के सहारे सिलाई करते थे, और उसी से अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। वहीं घर के खर्च में हाथ बटाने के लिए जितेंद्र के बूढ़े पिता ओम प्रकाश(60) प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे।
घर में मिला सुसाइड नोट, तोता छोड़ने का जिक्र
जितेंद्र की दोनों बेटियां ने घर में चार साल पहले दो तोते पाले थे। दोनों तोते का नाम पैब्लो और लीली है। पुलिस को घर में दोनों तोते कपड़े से ढकें मिले। पास में सुसाइड नोट पड़ा हुआ था। इसमें लिखा था- हमारे मरने के बाद दोनों तोते को छोड़ दिया जाए। हालांकि जब परिवार के लोगों ने तोतों को बाहर निकालकर उड़ाने की कोशिश की तो तोते नहीं उड़े। पुलिस ने दोनों तोते को कब्जे में ले लिया है।
स्कूल ने मान्या और मानवी को दी श्रद्धांजलि
मान्या और मानवी के स्कूल सेंट्रल एकेडमी में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उसी स्कूल में एक दिन पहले इन बहनों ने चिल्ड्रंस डे के दिन प्रोग्राम में पार्टिसिपेट किया था। फिर उसी मंच पर इन मासूम बहनों को श्रद्धांजलि दी गई, स्कूल के बच्चे और टीचरों का कहना था, कि मान्या मानवी ब्रिलियंट छात्रों के रूप में जाने जाते थे, वही स्कूल में एक लेटर भी मिला, जिसमें छोटी बहन मानवी के पेरेंट्स मीटिंग में खुद मान्या ने आने की बात कही थी, क्योंकि पिता किसी कारणवश आने में असमर्थ थे, जिसके बाद स्कूल ने भी उसे एक्सेप्ट किया था।
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