भरोसे के लायक नहीं है चीन! भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में लैंडिंग डॉक, गश्त के लिए स्पीड बोट तैनात किए
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के आसपास गश्त के लिए नए लैंडिंग डॉक और अपग्रेड स्पीड बोट्स तैनात कर दिए हैं जो 14,000 फीट के करीब स्थित झील पर चीनी तैनाती से मेल खाते हैं। बता दें कि, पूर्वी लद्दाख में 2020 के गतिरोध के बाद से भारत ने कमियों को दूर करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए यह कम उठाए है। भारत चाहता है कि एलएसी पर शांति रहे लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह सीमा के आसपास बुनियादी ढ़ांचे को बढ़ा रहा है। इसको देखते हुए भारत ने भी पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है।
भारत चीन पर भरोसा नहीं कर सकता
एक रक्षा सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्नत किस्म के स्पीड बोट्स के आने से भारत के इलाके मे गश्त करने की क्षमता को काफी बढ़ावा मिला है। अब हमारे पास ऐसी नौकाएं है जो चीन के बोट्स को टक्कर दे रही है। सूत्र ने बताया कि लैंडिंग क्राफ्ट 35 सैनिकों या एक जीप और 12 कर्मियों को ले जाने में सक्षम है। वहीं स्पीड बोट्स 35 नॉट की स्पीड से कही भी गश्त करने में सक्षम है।
लैंडिंग क्राफ्ट, स्पीड बोट्स तैनात
बता दें कि, 2021 की शुरुआत में, भारतीय सेना ने लैंडिंग क्राफ्ट और स्पीड बोट्स के लिए दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे, जो 2021 की दूसरी छमाही में सेना को सौंपे गए थे। अनुबंध के तहत दिसंबर के अंत में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ 12 विशेष गश्ती बोट्स के लिए 65 करोड़ रुपये के 17 ट्रूप-ले जाने वाले, फ्लैट-बॉटम फाइबर ग्लास लैंडिंग डॉक के लिए दूसरे अनुबंध पर गोवा में एक निजी निर्माता के साथ भी हस्ताक्षर किए गए थे। सूत्रों ने कहा कि नए लैंडिंग क्राफ्ट को पाकिस्तान से सटे गुजरात के सर क्रीक में भी तैनात किया गया है।
एलएसी की सीमा फिंगर 8 तक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से चीन की सेना पैंगोंग झील के किनारे सड़कें बना रही थी। 1999 में जब कारगिल की जंग के समय चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए भारत की सीमा में झील के किनारे पर 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई थी। झील के उत्तरी किनारे पर बंजर पहाड़ियों को स्थानीय भाषा में छांग छेनमो कहते हैं। इन पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही सेना ‘फिंगर्स’ बुलाती है। भारत का दावा है कि एलएसी की सीमा फिंगर 8 तक है। लेकिन वह फिंगर 4 तक को ही नियंत्रित करती है।
भारत-चीन गतिरोध
बता दें कि, पैंगोंग त्सो लंबे समय से भारत और चीन के बीच लगातार गतिरोध का क्षेत्र रहा है। पैंगोंग त्सो लद्दाख हिमालय में 14,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, लैंडलॉक झील है। पैंगोंग त्सो का पश्चिमी छोर लेह के दक्षिण-पूर्व में 54 किमी दूर स्थित है। 135 किमी लंबी यह झील बुमेरांग (Boomerang) के आकार में 604 वर्ग किमी. में फैली हुई है और अपने सबसे विस्तारित बिंदु पर यह 6 किमी चौड़ी है। इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में स्थित है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के मध्य से गुजरती है।
एलएसी क्या है?
बता दें कि, LAC तीन Sectors में बंटी है। पहला अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक। दूसरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का हिस्सा और तीसरा लद्दाख है। भारत, चीन के साथ लगी एलएसी तकरीबन 3,488 किलोमीटर पर अपना दावा जताता है। वहीं, चीन का कहना है यह केवल 2 हजार किलोमीटर तक ही है। एलएसी दोनों देशों के बीच वह रेखा है जो दोनों देशों की सीमाओं को अलग-अलग करती है।
दोनों देशों की सेनाएं गश्त करती हैं
चीन और भारत की सेनाएं एलएसी पर अपने-अपने हिस्से में लगातार गश्त करती रहती हैं। पैंगोंग झील पर अक्सर झड़प होती है। 6 मई 2020 को पहले यहीं पर चीन और भारत के जवान भिड़े थे। झील का 45 किलोमीटर का पश्चिमी हिस्सा भारत के नियंत्रण में आता है जबकि बाकी चीन के हिस्से में है। बता दें कि, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 को भारत और चीन के सौनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। लेकिन चीन पर झड़प के बाद से अपने सैनिकों की मौतें छिपाने का आरोप लगता रहा है।
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