मुंबई। सनी देओल की फिल्म ‘चुप रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट’ अपनी सिनेमाघर रिलीज के लंबे समय के बाद अब ओटीटी पर भी रिलीज होने जा रही है। इस साइको थ्रिलर क्राइम फिल्म में सनी देओल को एक बार फिर एक्शन अवतार में देखा गया था। डॉ. जयंतीलाल गड़ा के पेन स्टूडियो, गौरी शिंदे, राकेश झुनझुनवाला और अनिल नायडू के होम प्रोडक्शन द्वारा निर्मित व आर बाल्की द्वारा निर्देशित फिल्म ‘चुप’ में सनी देओल के अलावा दुलकर सलमान और श्रेया धनवंतरी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। फिलहाल इसके डिजिटल प्रीमियर की तारीख की घोषणा भी कर दी गई है।
गुरु दत्त को श्रद्धांजलि देती हुई ‘चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट’ फिल्म समीक्षकों को निशाना बनाने वाले एक मनोरोगी हत्यारे की कहानी है। फिल्म एक तेज-तर्रार थ्रिलर है जो क्रिटिसिज्म के एथिक्स पर कई सवाल उठाती है। क्या कुछ लोगों की राय से एक कलाकार का भाग्य तय हो सकता है? और दूसरी ओर, क्या कला का अस्तित्व और विकास बिना समालोचना के हो सकता है? चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट एक अनोखी कहानी है।
‘चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट’ को दर्शकों के लिए ओटीटी प्लेटफार्म जी5 पर रिलीज किया जाएगा। इसका वर्ल्ड डिजिटल प्रीमियर 25 नवंबर 2022 को किया जाएगा, यानी इस दिन से यह फिल्म आप जी5 पर देख सकेंगे। यह फिल्म 190 से ज्यादा देशों के दर्शकों के लिए पांच भाषाओं हिंदी, तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में रिलीज होगी।
अभिनेता सनी देओल ने इस बारे में बात करते हुए कहा- “आईजी अरविंद माथुर का किरदार निभाना एक शानदार अनुभव था, यह एक पहेली को सुलझाने जैसा था, फिल्म अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध होगी और मैं दर्शकों से फिल्म देखने की अपील करता हूं।” वहीं दुलकर सलमान का इस बारे में कहना है कि एक सीरियल किलर डैनी की भूमिका निभाना उनके लिए अब तक का सबसे प्रयोगात्मक किरदार रहा है। समीक्षकों की हत्या करने वाले और शहर भर में कहर बरपाने वाले किसी ऐसे इंसान के साथ पहचान, करने के बारे में सोचना ही भयावह है। चुप सिर्फ एक जासूसी ड्रामा नहीं है बल्कि यह दिल को थाम देने वाली एक थ्रिलर है, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते।
फिल्म ‘चुप’ के बारे में श्रेया धनवंतरी ने कहा कि यह सिनेमा की एक प्रेम कहानी है। हत्या में कला खोजने की एक प्रेम कहानी। इसके आगे वह कहती हैं कि फिल्म समीक्षक नीला का किरदार के निभाकर मुझे बहुत मजा आया। वह एक ऐसी महत्वाकांक्षी फिल्म समीक्षक हैं जो सिनेमा से उतना ही प्यार करती हैं, जितना मैं करती हूं।
निर्देशक आर बाल्की के मुताबिक, ‘चुप’, संवेदनशील कलाकार के लिए एक गीत है और गुरुदत्त उस सूची में सबसे ऊपर हैं। मेरे पास एक कहानी काफी समय से थी और मुझे खुशी है कि मैंने आखिरकार इसे लिखा, गुरुदत्त की बेहतरीन कृति कागज के फूल का भारी आलोचना हुई, फिल्म असफल रही और उसके बाद उन्होंने कोई फिल्म नहीं बनाई। कला को तोड़-मरोड़कर पेश करते हुए, कलाकार की संवेदनशीलता के बारे में कम ही लोग सोचते हैं। चुप एक ऐसी ही कहानी है जो एक कलाकार के काम के प्रति असंवेदनशीलता और ऐसी आलोचना के प्रति कालाकार की प्रतिक्रिया को दिखाती है।
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