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कुढ़नी में हार के बाद महागठबंधन में घमासान, नीतीश पर तेजस्वी के लिए क्या है प्रेशर

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पटना। कुढ़नी उपचुनाव में जेडीयू की हार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने डिप्टी और राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को रास्ता देने की मांग की है। राजद के पूर्व विधायक अनिल सहनी ने यहां तक कह दिया कि कुढ़नी में जेडीयू पूरी तरह फेल हुई है। नीतीश कुमार को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। अनिल सहनी ने यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी तेजस्वी यादव को सौंपनी चाहिए। उधर, भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश को चाहिए कुढ़नी में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लें और तेजस्वी को सत्ता की सीट सौंपकर राजद नेता शिवानंद तिवारी के ‘आश्रम’ जाएं।
नीतीश कुमार की हार
साहनी ने कहा कि ये महागठबंधन की नहीं बल्कि नीतीश कुमार की हार है। कुढ़नी के लोगों ने उन्हें सबक सिखाया है। अगर नीतीश में कोई नैतिकता बची है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद सौंप देना चाहिए। सूमो ने कहा कि जेडीयू के दोनों नेताओं – मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को कुढ़नी उपचुनाव में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। सुशील कुमार मोदी ने यहां तक कहा कि नीतीश का जनाधार अब खत्म हो गया है. नीतीश को अब अपनी जेडीयू का राजद में विलय कर देना चाहिए। भाजपा ने कुढ़नी विधानसभा सीट पर जेडीयू को 3,649 मतों से हराया। बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता ने 76,722 वोट हासिल कर उपचुनाव जीता, जबकि जेडीयू के मनोज कुशवाहा को 73,073 वोट मिले।
‘टर्न एंड ट्विस्ट’ का दौर
कुढ़नी उपचुनाव परिणाम के बाद बिहार की सियासत ‘टर्न एंड ट्विस्ट’ के दौर से गुजर रही है। कुढ़नी में हार के बाद अभी तक नीतीश कुमार की ओर से कोई बयान नहीं आया है। वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने ये कहा है कि हम बहुत कम मार्जिन से हारे हैं, इसकी समीक्षा की जाएगी। वहीं दूसरी ओर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि बीजेपी ने गलत तरीके से चुनाव जीता है। जबकि, उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि पार्टी को जनता के हिसाब से अपना कदम उठाया होगा। जैसी जनता चाहती है, वैसी पार्टी चलेगी। महागठबंधन की हार से एक बात तो तय है कि जेडीयू और राजद नेताओं के बीच आपसी खटास खुलकर सामने आ गए हैं।
दल मिले दिल नहीं
सियासी जानकार मानते हैं कि इस चुनाव ने ये भी साबित कर दिया है कि सिर्फ दल मिले हैं, दिल नहीं मिले हैं। राजद का वोट कतई नहीं जेडीयू को ट्रांसफर हुआ है। राजद कार्यकर्ता आज भी जेडीयू कार्यकर्ताओं से तालमेल नहीं बिठा पाए हैं। जिसकी वजह से कुढ़नी जैसी हार का सामना करना पड़ा। जानकारों की मानें, तो हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर ध्यान दीजिए। ये बयान पूरी तरह से नीतीश कुमार को ध्यान में रखकर दिया गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने परिणाम के बाद लिखा कि क्या हार में, क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं। कर्तव्य पथ पर जो मिला, यह भी सही वो भी सही। कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा। जानकार मानते हैं कि ये संदेश उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू कार्यकर्ताओं और पार्टी नेतृत्व को दिया है।
ओवैसी को दोष नहीं दे सकते
आपको बता दें कि कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन की सात पार्टियां अकेले मैदान में उतरी भाजपा को शिकस्त नहीं दे पाई। नीतीश- तेजस्वी की धुंआधार सियासी बैटिंग भी काम नहीं आई। ललन सिंह का कुढ़नी में पूरी तरह फोकस करना भी काम नहीं आया। मनोज कुशवाहा की सार्वजनिक माफी भी काम नहीं आई। स्थिति ये है कि इस बार महागठबंधन हार का सारा दोष ओवैसी की पार्टी को भी नहीं दे सकता। सियासी जानकारों की मानें, तो जेडीयू प्रत्याशी जितनी वोट से हारे हैं। उससे ज्यादा वोट नोटा को मिला है। कुल मिलाकर तस्वीर ऐसी है कि कुढ़नी में महागठबंधन भी नहीं, बल्कि पूरी तरह जेडीयू की हार हुई है। अब राजद नेताओं की ओर से नीतीश कुमार को सियासी फैसले लेने के लिए चैलेंज करना, तो सामने आना ही था!


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