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एमपी-एमएलए बनने के लिए अब उम्र नहीं दरार, भाजपा के साथ साथ कांग्रेस भी है तैयार

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नई दिल्ली। देश की 65% युवा आबादी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी की आयुसीमा घटाने पर विचार कर रही है। कई राजनीतिक दल इसके पक्ष में हैं। ये दल तर्क दे रहे हैं कि अगर नगर निगम-परिषद में चुनाव लड़ने के लिए उम्र सीमा 21 साल है तो फिर विधानसभा और लोकसभा के लिए यह उम्र सीमा 25 साल क्यों होनी चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मिल सकता है मौका
रालोद, एमआईएम, वाईएसआरसीपी, राजद, बीजद, शिवसेना (उद्धव गुट) समेत कुछ दल आयु सीमा घटाने के पक्ष में हैं। भाजपा और कांग्रेस के कई सांसद भी चाहते हैं कि आयुसीमा घटाने का वक्त आ चुका है। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इस बारे में गंभीरता से मंथन शुरू कर चुकी है। भारत युवा देश है, लेकिन सरकार का मानना है कि 2030 के बाद देश के लोगों की औसत उम्र बढ़नी शुरू हो जाएगी। इसलिए अगले 7-8 साल ही ऐसे हैं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में संसद या विधानसभाओं में पहुंचने का मौका मिल सकता है।
इसलिए इस मुद्दे पर जल्दी ही कोई फैसला लेना जरूरी है। देश की आबादी की औसत उम्र 25 साल है, जो कि चीन से 10 साल और अमेरिका से 15 साल कम है। यानी दुनिया के किसी भी बड़े देश के पास भारत जैसी युवा शक्ति नहीं है। आने वाले 20 साल में भारत के पास भी नहीं बचेगी। इसलिए सरकार का मानना है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौके देने से क्रांतिकारी बदलाव हो सकते हैं।
जयंत चौधरी ने संसद में पेश किया निजी विधेयक
राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत सिंह चौधरी ने इस संबंध में संसद में एक निजी विधेयक पेश किया है। उनके इस विधेयक पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता मानते हैं कि कोई भी राजनीतिक दल युवाओं को रिझाने के लिए इस मुद्दे को बड़ा बनाकर पेश कर सकता है। इसलिए हमें पहल करनी चाहिए कि समय रहते विधायक या सांसद बनने की न्यूनतम उम्र 21 साल हो जाए।
विधेयक पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता मानते हैं कि कोई भी राजनीतिक दल युवाओं को रिझाने के लिए इस मुद्दे को बड़ा बनाकर पेश कर सकता है। इसलिए हमें पहल करनी चाहिए कि समय रहते विधायक या सांसद बनने की न्यूनतम उम्र 21 साल हो जाए।


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