Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

फ्रांस और अर्जेंटीना के बीच रविवार को महामुकाबला : सबकुछ होकर भी खाली हाथ हैं मेसी, कल फाइनल में मत चूकना अर्जेंटीना के लिविंग लीजेंड

- Sponsored -

- Sponsored -


नई दिल्ली। फीफा विश्व कप में यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी देशों में ही श्रेष्ठता की जंग देखने को मिलती रही है। ब्राजील के 2002 में चैंपियन बनने के बाद से विश्व कप में यूरोपीय टीमों का ही जलवा दिखा है। इस सिलसिले को तोड़ने के लिए लियोनल मेसी के नेतृत्व वाली अर्जेंटीना टीम फाइनल में है। उसका मुकाबला चार साल पहले यानी 2018 में खिताब पर कब्जा जमाने वाली फ्रांस से होगा। रविवार को खेले जाने वाले फाइनल में कोई भी टीम जीते, ढेरों रिकॉर्ड जरूर बनेंगे। फ्रांस यदि लगातार दूसरी बार खिताब जीतने में सफल हो जाता है तो 60 साल पहले ब्राजील द्वारा किए इस करिश्मे को दोहराने वाला वह पहला देश होगा। ब्राजील ने 1958 और 1962 में लगातार दो बार खिताब पर कब्जा जमाया था।
मेसी के लिए मौका
लियोनेल मेसी के लिए भी इस चैंपियनशिप के खास मायने हैं। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार होने वाले मेसी फुटबॉल में लगभग हर उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। वह दो बार विश्व कप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन चुके हैं। उन्होंने सात बार बेलोन डि ओर खिताब जीता है। मेसी एक बार कोपा अमेरिका और चार बार चैंपियंस लीग खिताब भी जीत चुके हैं। मगर सबसे प्रतिष्ठित फीफा विश्व कप खिताब उनसे अब तक दूरी बनाए हुए है। मेसी कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी विश्व कप है। वह यदि फ्रांस को फतह करके खिताब का सपना पूरा कर पाते हैं तो उनका नाम महान फुटबॉलरों माराडोना और पेले के समकक्ष पहुंच जाएगा।
अलग लय में दिख रहे मेसी
वैसे मेसी के नेतृत्व में अर्जेंटीना 2014 में फाइनल तक चुनौती पेश कर चुकी है, लेकिन उस समय जर्मनी ने मेसी का सपना तोड़ दिया था। मेसी की टीम इस बार जिस तरह खेल रही है, उससे लगता है कि वह इस बार खिताब जीतने का पक्का इरादा बनाकर आई है। मेसी ने क्रोएशिया पर सेमीफाइनल में जीत पाने के दौरान जिस तरह से दूसरे गोल का आधार बनाया, उसे सालों साल भुलाया नहीं जा सकेगा। यह उनकी ड्रिब्लिंग कला का ही कमाल था कि डिफेंडर साथ लगे होने पर भी उन्हें थाम नहीं सके और उनका अल्वारेज को दिया गया पास इतना सटीक था कि डिफेंस उन्हें बॉल गोल में डालने से रोक ही नहीं सका। इसी तरह मेसी का पेनल्टी पर किए गए गोल का शॉट इतना सटीक था कि गोलकीपर के लिए बॉल तक पहुंचना संभव ही नहीं दिखा।
फ्रांस का शानदार खेल
दूसरी ओर फ्रांस का सेमीफाइनल में ऐसी टीम से मुकाबला था, जो इस सफर में कई दिग्गजों के सफर को ध्वस्त कर चुकी थी। मोरक्को सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम थी। कोई भी टीम इस विश्व कप में मोरक्को पर गोल नहीं जमा सकी थी। ग्रुप मैचों में कनाडा के खिलाफ उनके ऊपर पड़ा एकमात्र गोल आत्मघाती था। लेकिन फ्रांस ने अपने शानदार प्रदर्शन से मोरक्को का फाइनल में खेलने का सपना ध्वस्त कर दिया। हर्नाडेज ने पांचवें मिनट में ही गोल जमाकर जता दिया कि उनकी टीम का क्या इरादा है। मोरक्को टीम भले ही सेमीफाइनल में हार गई। पर इस विश्व कप में उसके प्रदर्शन को हमेशा याद रखा जाएगा।
परिवार बना टीम की ताकत
कुछ माह पहले ही कोच बने वालिद रेगरागुई ने इस टीम में चैंपियनों वाली भावना भरने में कामयाबी पा ली। उन्होंने अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों से अपने माता-पिता को साथ लेकर चलने को कहा। लगता है, इस टीम के साथ माता-पिता का आशीर्वाद बना रहा। उन्होंने क्वॉर्टर फाइनल में पुर्तगाल को जब फतह किया तो उनके खिलाड़ी सोफियान बाउफाल अपनी मां के साथ मैदान में डांस करके जश्न मनाते नजर आए। कोच वालिद भी अपनी मां फातिमा के साथ आए थे। हालांकि फ्रांस के सामने मोरक्को की टीम अपना बढ़ाव जारी नहीं रख पाई, पर वह विश्व कप के सेमीफाइनल तक चुनौती पेश करने वाली पहली अफ्रीकी टीम जरूर बन गई है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.