रेलवे में नौकरी मिलने के बाद कैंडिडेट्स रोज 8 घंटे गिन रहे थे ट्रेन, बाद में पता चला जॉब के नाम पर हो चुके हैं ठगी के शिकार
नई दिल्ली। कहते है आज के युग में भगवान मिल जाता है, लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिलती है। ऐसे में अगर किसी की सरकारी नौकरी लग जाती है, तो फिर उसके ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है। तमिलनाडु के करीब 28 युवक भी काफी खुश थे, क्योंकि उनको सरकारी नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र मिल गया था। नियुक्ति दिल्ली में मिली थी और काम था रेलवे स्टेशन के अलग-अलग प्लेटफार्मों पर करीब एक महीने तक रोजाना आठ घंटे आने-जाने वाली ट्रेनों तथा उनके डिब्बों की गिनती करना। उन्हें बताया गया था कि यही उनका काम है। पूरी लगन और मेहनत से वे अपने काम को अंजाम दे रहे थे, मगर कुछ दिनों तक काम करने के बाद कोई रेलवे का अधिकारी उनसे मिलने से नहीं आया तो उनको थोडा संदेह हुआ और जब इन लोगों ने खोज खबर ली, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि उनको पता चाल की वे नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं। गिनती करने के लिए तैनात किया गया था। बाद में इन्हें पता चला कि उन्हें जॉब के नाम पर बेवकूफ बनाकर ठगा गया है।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में दायर एक शिकायत के अनुसार, उन्हें बताया गया था कि यह यात्रा टिकट परीक्षक (टीटीई), यातायात सहायकों और क्लर्कों के पदों के लिए उनके प्रशिक्षण का हिस्सा था। रेलवे में नौकरी पाने के लिए उनमें से प्रत्येक ने दो लाख से 24 लाख रुपये के बीच की राशि का भुगतान किया था।
शिकायत 78 वर्षीय एम सुब्बुसामी द्वारा दर्ज कराई गई। शिकायत के अनुसार, जून और जुलाई के बीच हुए एक महीने के प्रशिक्षण के लिए, धोखेबाजों के एक समूह द्वारा पीड़ितों से 2.67 करोड़ रुपये ठगे गए। पूर्व सैनिक सुब्बुसामी पीड़ितों को कथित धोखेबाजों के संपर्क में लाए थे, लेकिन उन्होंने दावा किया कि वह इस बात से अनजान थे कि यह सब एक घोटाला था और वह भी उनके जाल में फंस गए। मदुरै के एक पीड़ित 25 वर्षीय स्नेहिल कुमार ने कहा, प्रत्येक उम्मीदवार ने सुब्बुसामी को दो लाख रुपये से लेकर 24 लाख रुपये तक की रकम का भुगतान किया, जिसने विकास राणा नाम के एक व्यक्ति को भुगतान किया. राणा ने दिल्ली में उत्तर रेलवे कार्यालय में खुद को एक उप निदेशक के रूप में पेश किया।
ज्यादातर पीड़ित इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा की पृष्ठभूमि वाले स्नातक हैं। तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में अपने गृहनगर से फोन पर सुब्बुसामी ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद से, मैं अपने इलाके के बेरोजगार युवाओं को बिना किसी लालच के उपयुक्त नौकरी खोजने में मदद कर रहा हूं। प्राथमिकी में, उसने आरोप लगाया है कि वह दिल्ली के एक एमपी क्वार्टर में कोयम्बटूर निवासी शिवरमन नामक व्यक्ति से मिला थ।शिवरमन ने सांसदों और मंत्रियों के साथ अपनी जान-पहचान का दावा किया और पैसों के बदले बेरोजगारों के लिए रेलवे में रोजगार की पेशकश की। जिसके बाद सुब्बसामी नौकरी की तलाश कर रहे तीन लोगों के साथ दिल्ली आया और बाद में नौकरी पाने के लिए 25 लोग और उनके साथ आए।
ईओडब्ल्यू ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि यह एक नौकरी घोटाला था और आगे की जांच चल रही है। रेल मंत्रालय में मीडिया और संचार के अतिरिक्त महानिदेशक योगेश बवेजा ने इस तरह के नौकरी घोटालों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड नियमित रूप से सलाह जारी कर रहा है और आम लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क कर रहा है।
इसलिए अगर आप इंडियन रेलवे या किसी अन्य डिपार्टमेंट्स में जॉब ढूंढ़ रहे हैं, तो बगैर जांच-पड़ताल के प्रोसेसिंग फीस या अन्य फॉर्मेलिटीज के नाम पर कोई भी पैसा ट्रांसफर न करें। यह खबर आपको आपको अलर्ट करती है। ठग ऐसे-ऐसे तरीके निकाल रहे हैं कि जिसकी शायद ही कोई सामान्य व्यक्ति कल्पना करता होगा। रेलवे में चल रही ठगी का एक बड़ा उदहारण है।
Comments are closed.