इस्लामिक देश ईरान की करेंसी तबाह हो गई है और एक डॉलर के मुकाबले ईरानी करेंसी रियाल का वैल्यू गिरकर 3 लाख 86 हजार हो गया है। लिहाजा, सरकार के हाथ-पांव फूल गये हैं। करेंसी की इस स्थिति ने देश की आर्थिक स्थिति को भी चौपट कर दिया है और ईरानी रिजर्व बैंक ने करेंसी के तबाह होने के पीछे देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को जिम्मेदार ठहराया है।
ईरान के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने ईरानी मुद्रा के डूबने के पीछे आंशिक रूप से सरकार विरोधी प्रदर्शनों को जिम्मेदार ठहराया है। ईरान में पिछले काफी वक्त से एंटी-हिबाज विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सितंबर महीने में 22 साल की कुर्द लड़की महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत होने के बाद से पूरे देश में हिजाब विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ईरान में कई सेलिब्रिटी को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है और कुछ सौ लोगों की मौत विरोध प्रदर्शनों में हो चुकी है। 1979 में इस्लामी शासन की स्थापना के बाद से ईरान सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है और हिजाब के खिलाफ खड़े हुए प्रदर्शनकारी अब इस्लामी सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। आपको बता दें कि, इस्लामिक सरकार की मोरल पुलिस की हिरासत में 16 सितंबर को महसा अमीनी की मौत हुई थी।
करेंसी डूबने से खतरे बढ़ा
सिर्फ हिजाब के खिलाफ ही प्रदर्शन नहीं हो रहे हैं, बल्कि डॉलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा के करीब 4 लाख तक के स्तर तक पहुंचने के बाद देश में महंगाई ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और सरकार के लिए किसी भी वस्तु का निर्यात करना काफी मुश्किल हो गया है। इसके अलावा कई मजदूर संगठनों ने वेतन की मांग करते हुए हड़ताल कर दिया है। मीडिया पर आई रिपोर्टों के मुताबिक, तेल श्रमिकों के समूहों ने शनिवार को उच्च वेतन की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन किया है। इसके अलावा ईरान सरकार ने एकेडमी अवार्ड जीतने वाली ईरान की हॉलीवुड अभिनेत्री तरानेह अलीदूस्ती को भी गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने एंटी-हिबाज प्रदर्शन का समर्थन किया था। उन्होंने बगैर स्कार्फ के अपनी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने “महिला, जीवन, स्वतंत्रता” के नारे को आवाज दी थी, जो ईरान में प्रदर्शनकारियों का मुख्य नारा है। आपको बता दें कि, तरानेह अलीदूस्ती हॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं और साल 2016 में अकेडमी अवार्ड जीत चुकी है।
हिबाज का पहले भी कर चुकी हैं विरोध
आपको बता दें कि, तरानेह अलीदूस्ती को इससे पहले साल 2020 में भी मोरल पुलिस की आलोचना करने के लिए गिरफ्तार किया गया था और उन्हें पांच महीने की सजा दी गई थी। वहीं, पिछले तीन महीनों के दरम्यां ईरान में सकड़ों मानवाधिकार कार्यकर्ता, कलाकार और पत्रकार गिरफ्तार किए गये हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ईरान में अभी तक 495 प्रदर्शनकारी मारे गये हैं, जिनमें 68 नाबालिग शामिल हैं। मारे गये प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर लड़किया हैं। इसके अलावा अभी तक 62 सुरक्षाबलों की भी मौत हुई है, जबकि अभी तक 18 हजार 450 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ईरान में अभी तक दो प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक फांसी भी दी गई है।
20 फीसदी से ज्यादा गिरावट
ईरानी सेंट्रल बैंक के गवर्नर अली सालेहाबादी ने स्वीकार किया है, कि “पिछले दो महीनों की घटनाओं” ने ईरानी मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों के साथ योगदान दिया है, लेकिन उन्होंने सुझाव दिया कि, गिरते रियाल को संमभालने के लिए डॉलर को बाजार में इंजेक्ट किया जा सकता है। हालांकि, अगर आंकड़ों को देखें, तो 16 सितंबर के बाद शुरू हुए प्रदर्शनों के बाद से ईरानी मुद्रा डॉलर के मुकाबले 20 प्रतिशत गिरी है। वहीं, ईरान के लोगों ने अब अपने पैसे बचाने के लिए सुरक्षित ठिकानों को तलाशना शुरू कर दिया है और लोगोने ने डॉलर में निवेश करना शुरू कर दिया और सोना खरीदने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है। सोना खरीदने में आई तेजी ने ईरान के विदेशी मुद्रा भंडार को काफी तेजी से नीचे करना शुरू कर दिया है, लिहाजा अब आशंका है कि, ईरान बहुत जल्द बड़ी मुसीबत में फंस सकता है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो सकता है।
डूबती जा रही है ईरानी मुद्रा
विदेशी मुद्रा साइट Bonbast.com के मुताबिक, डॉलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा अनौपचारिक बाजार में 395,600 रियाल तक बिका है, जो शुक्रवार को 386,800 था। आर्थिक दैनिक दोन्या-ए-इकतेसाद की वेबसाइट ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में डॉलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा का वैल्यू 382,300 बताई है। तीन महीने पहले देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से रियाल अपने मूल्य का लगभग 20% खो चुका है। मई 2018 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते से हटने और देश पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने से ठीक पहले मुद्रा लगभग 65,000 प्रति अमेरिकी डॉलर पर कारोबार कर रही थी। वहीं, देशभर में अभी भी प्रदर्शन जारी है। ना तो सरकार एक कदम पीछे हटना चाह रही है और ना ही प्रदर्शनकारी। वहीं, शनिवार को राजधानी तेहरान का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिख रहा है, कि एक मेट्रो स्टेशन के बाहर हजारों की संख्या में लोग मौजूद हैं, जो राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं।
Comments are closed.