कोलकाता। ममता बनर्जी के हाव-भाव इन दिनों बदले हुए दिख रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृममंत्री अमित शाह कभी उन्हें फूटी आंख नहीं सुहाते थे। अब दोनों के प्रति उनके नजरिये में बदलाव दिख रहा है। हफ्ते भर पहले ही अमित शाह की अध्यक्षता में ईस्टर्न जोनल काउंसिल की बैठक कोलकाता में हुई तो उसमें ममता बनर्जी ने शिरकत की। इतना ही नहीं, दोनों में अपनापा इतना बढ़ा कि ममता के आग्रह पर अमित शाह राज्य सचिवालय नवान्न भी गये। अमित शाह की गाड़ी पर ही ममता बैठीं और बैठक स्थल से तकरीबन 200 मीटर तक दोनों साथ गये। ममता ने उनसे अकेले में तकरीबन 20 मिनट बात की। उपहार भी दिये। इस महीने के आखिर में पीएम नरेंद्र मोदी का भी कोलकाता यात्रा का प्लान है। राज्य सरकार के हवाले से बताया गया है कि ममता उनके साथ बैठक में मौजूद रहेंगी। शाह की तरह उनसे भी अलग मुलाकात कर सकती हैं। असेंबली इलेक्शन के दौरान भाजपा के इन दो कद्दावर नेताओं और ममता बनर्जी के बीच कटु शब्दों के जो तीखे वाण चलते थे, अब वैसा दोनों ही ओर से सुनने को नहीं मिल रहे। इसे राजनीति का आपसी सौहार्द कहें या कोई राजनीतिक रणनीति, लेकिन इतना तो साफ है कि मोदी-शाह की आलोचना वाले ममता के सुर बदल गये हैं।
बंगाल भाजपा के नेता कन्फ्यूजन में
इससे सबसे अधिक कन्यफ्यूजन भाजपा के नेताओं में है कि आखिर हो क्या रहा है। हालांकि भाजपा या तृणमूल ने अगले साल हो रहे पंचायत चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी अपने-अपने स्तर पर जारी रखी है। कुछ ही दिन पहले टीएमसी छोड़ भाजपा में गये नेता प्रतिपक्ष शुवेंदु अधिकारी को भी ममता ने चाय पर आमंत्रित कर उनसे बातचीत की थी। बातचीत का ब्योरा तो सामने नहीं आया, लेकिन इसने अटकलों को तो जन्म दे ही दिया था।
मोदी से टकराती रही हैं ममता
एक दौर था, जब ममता बनर्जी ने कोविड वैक्सीनेशन के प्रमाण पत्रों पर मोदी की तस्वीर पर एतराज जताया। मोदी की स्वास्थ्य क्षेत्र की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को अपने यहां लागू नहीं किया। उसके समानांतर ममता ने स्वास्थ साथी योजना शुरू की थी। इनमें कोई बदलाव तो अब भी नहीं हुआ है, लेकिन ममता बनर्जी का रुख नरम पड़ गया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि टीएमसी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता से ममता परेशान हैं। पार्थ चटर्जी और अणुव्रत मंडल जैसे उनके कई भरोसेमंद नेता जेल में हैं। खुद उनके भतीजे टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। इसलिए ममता केंद्र से अब और पंगा लेने के मूड में नहीं हैं।
ममता पहले भी रह चुकी हैं एनडीए का हिस्सा
ममता बनर्जी एनडीए का हिस्सा बन कर पहले भी सरकार में शामिल होती रही हैं। संभव है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए वह कोई रास्ता तलाश रही हों। भाजपा को भी बंगाल में एक दबंग सहयोगी की जरूरत है। भाजपा जानती है कि बंगाल में जिस तरह अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण कराने में ममता माहिर हैं, उसमें भाजपा को अपने लिए जगह बनाना मुश्किल है।
ममता के प्रति केंद्र सरकार का रुख भी बदला है
ममता के प्रति केंद्र सरकार के बदले रुख का आलम यह है कि उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट दुआरे सरकार को पब्लिक डिजिटल की श्रेणी में सर्वोच्च प्लेटिनम पुरस्कार से नवाजा गया है। सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिजिटल इंडिया अवार्ड्स 2022 के तहत यह अवार्ड देने का ऐलान हुआ है। अगले साल 7 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बंगाल को सम्मानित करेंगी। दुआरे सरकार जैसी कई नागरिक योजनाएं ममता बनर्जी के दिमाग की उपज हैं। इसके तहत 6.6 करोड़ लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में ममता सरकार कामयाब रही है। दिसंबर 2020 में इस योजना की शुरुआत हुई थी। पांच चरणों में 3.61 शिविर लगा कर सरकार ने 6.61 करोड़ लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया था।
केंद्र से बकाया धन भी मिलने लगा है
केंद्र सरकार बंगाल को केंद्र से मिलने वाले बकाये धन का भुगतान भी अब करने लगी है। सनद रहे कि असेंबली इलेक्शन के दौरान बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी की वजह से पश्चिम बंगाल में पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। लेकिन मई 2021 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आग्रह पर सात लाख किसानों को एकमुश्त राशि का भुगतान कर दिया गया। इसमें हर किसान को एक साथ 18000 रुपये का भुगतान हुआ था।
कभी मोदी-शाह से खफा थीं ममता बनर्जी
असेंबली चुनाव के बाद पीएम मोदी से ममता की खुन्नस ऐसी रही कि साइक्लोन से नुकसान के आकलन के लिए जब वह बंगाल के दौरे पर थे तो ममता ने उनसे मुलाकात नहीं की थी। जब केंद्र ने ममता के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय का तबादला दिल्ली कर दिया तो ममता ने उनको स्वैच्छिक अवकाश दिला कर अपना सलाहकार नियुक्त कर लिया था। वह मोदी के साथ बैठकों से भी कतराती रहीं। लेकिन अब हालात बदल गये हैं। पूर्वी क्षेत्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भले नीतीश कुमार नहीं आये, लेकिन ममता बनर्जी न सिर्फ शामिल हुईं, बल्कि आग्रह कर अमित शाह को अपने दफ्तर ले गयीं। अब पीएम मोदी से मिलने का उनका प्लान है। संयोगवश पीएम मोदी 30 दिसंबर को राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में भाग लेने कोलकाता आने वाले हैं। पीएम परिषद के अध्यक्ष हैं और ममता बनर्जी सदस्य। इसी दौरान दोनों की मुलाकात होने की संभावना है। बताया जाता है कि केंद्र से राज्य के हिस्से की बकाया रकम मांगने का वह इस दौरान प्रयास करेंगी।
Comments are closed.