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TMC और कांग्रेस की राह मुश्किल भरी होगी पश्चिम बंगाल में

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बिहार में किसकी सरकार बनेगी, यह अब साफ हो चुका है, पर जेडीयू-भाजपा और महागठबंधन के बीच मुकाबला बेहद कड़ा और दिलचस्प रहा। इस लड़ाई में जहां राष्ट्रीय जनता दल आखिर तक मुकाबला करता रहा, वहीं कांग्रेस महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई। पार्टी अपना पुराना प्रदर्शन भी दोहराने में विफल रही। चुनाव में वामदलों के प्रदर्शन सबसे बेहतर रहे। पर इसका फायदा कुछ माह बाद पश्चिम बंगाल और असम सहित कई दूसरे प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिलने की उम्मीद कम है।

चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। जेडीयू को हुए नुकसान की भरपाई करते हुए भाजपा गठबंधन को अकेले जीत की दहलीज तक पहुंचाने में सफल रही है। ऐसे में भाजपा पूरे हौसले के साथ पश्चिम बंगाल और असम के चुनाव में उतरेगी। पश्चिम बंगाल में विपक्ष बिखरा हुआ है। तृणमूल कांग्रेस कई वर्षों से सत्ता में है और बिहार में प्रदर्शन के बाद लेफ्ट पार्टियां भी और अक्रामकता के साथ चुनाव लड़ेगी। इससे विपक्षी वोट का बंटने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।

कांग्रेस को भी बिहार चुनाव से सबक लेने की जरुरत है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार में वहीं गलतियां दोहराई है, जो वह अममूमन करते रहे है। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव रणनीति तक, पार्टी ने पुरानी हार से सबक नहीं लिया। चुनाव में कुछ प्रयोग जरुर किए गए, पर उनका भी चुनाव परिणाम पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसे में जरूरी है कि पार्टी आत्मचिंतन कर गलतियों को सुधारे। इसके साथ पार्टी को हर राज्य में अधिक से अधिक सीट पर लड़ने के बजाए अपनी मजबूत सीट पर ही ध्यान देना चाहिए।

पश्चिम बंगाल और असम में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां गठबंधन में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। बिहार में प्रदर्शन कमजोर होने की वजह से मौलतौल की ताकत कम हुई है। बंगाल के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 92 सीट पर चुनाव लड़कर 44 सीट जीती थी। जबकि लेफ्ट सिर्फ 26 सीट ही जीती थी। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए विपक्ष को एकजुट होकर बेहतर तालमेल और रणनीति अपनानी होगी।


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