आतंक पर सरकार की करारी चोट : लश्कर के प्रॉक्सी संगठन टीआरएफ पर लगाया बैन, टारगेट किलिंग की कई घटनाओं में शामिल
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को आतंकी संगठन घोषित कर बैन भी लगा दिया है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर में कई टारगेट किलिंग में शामिल रहा है। गृह मंत्रालय ने गुरुवार देर रात टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया।
गृह मंत्रालय ने टीआरएफ के कमांडर शेख सज्जाद गुल और लश्कर कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ अबु खुबैब को आतंकी घोषित कर दिया है। दोनों पर यह कार्रवाई यूएपीए के तहत हुई है। इससे पहले सरकार ने सितंबर 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर 5 साल के लिए बैन कर दिया था। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले थे।
टीआरएफ पर बैन क्यों लगा
गृह मंत्रालय ने बताया कि टीआरएफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने, आतंकियों की भर्ती, आतंकियों की घुसपैठ और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए युवाओं की भर्ती कर रहा है। टीआरएफ साल 2019 में अस्तित्व में आया था। इस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए जम्मू-कश्मीर के युवाओं को भारत सरकार के खिलाफ उकसाने का आरोप है।
वहीं, लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर मोहम्मद अमीन उर्फ अबु खुबैब को आतंकवादी घोषित किया गया है। वह जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है, फिलहाल वह पाकिस्तान में है। खुबैब लश्कर-ए-तैयबा के लॉन्चिंग कमांडर के रूप में कार्य कर रहा है, उसका पाकिस्तान की एजेंसियों के साथ भी संबंध है।
टीआरएफ है क्या : लश्कर ए तैयबा का छद्म नाम
जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठनों में ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) नया नाम है। सुरक्षाबलों का मानना है कि 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद टीआरएफ की गतिविधियां बढ़ी हैं। सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सीमा पार से आईएसआई हैंडलर्स ने ही लश्कर-ए-तैयबा की मदद से टीआरएफ को खड़ा किया। कुछ जानकारों का कहना है कि टीआरएफ कुछ नया नहीं है बल्कि आतंकी संगठन जैश और लश्कर के कैडर्स को ही नया नाम दिया गया है। पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआईकी रणनीति के तहत ये नाम बदलते रहते हैं।’ यहां एक रोचक बात ये है कि 1990 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के गठन के बाद ये पहली बार है कि जब किसी मिलिटेंट संगठन को गैर इस्लामिक नाम दिया गया है।
मकसद : यह बताना कि घाटी में आतंक अभी खत्म नहीं हुआ है
सिक्योरिटी एक्सपर्ट बताते हैं कि आतंकी ऐसी घटनाओं के जरिए खौफ का माहौल बनाना चाहते हैं और ये संदेश देना चाहते हैं कि घाटी में अभी आतंक खत्म नहीं हुआ है। जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि नए नाम से संगठन खड़ा करने का मकसद ये हो सकता है कि इंटरनेशनल मीडिया में संदेश जाए कि धारा 370 हटाए जाने से नाराज हुए आम युवा कश्मीरियों ने नए सिरे से मिलिटेंसी शुरू की है। इस नए संगठन की गतिविधि से पाकिस्तान का भी फायदा होगा। पाकिस्तान आतंकी संगठनों की फंडिंग की वजह से पहले से ही वैश्विक स्तर पर आलोचना का सामना कर रहा है, इसलिए नए आतंकी संगठन की गतिविधि बढ़ने से पाकिस्तान का नाम भी नहीं आएगा।
TRF ने सबसे ज्यादा टारगेट किलिंग को अंजाम दिया
सुरक्षाबलों का मानना है कि वजूद में आने के बाद इस आतंकी संगठन ने सबसे ज्यादा टारगेट किलिंग की वारदातों को अंजाम दिया है। इसने सबसे ज्यादा पुलिस अफसरों और नेताओं को अपना निशाना बनाया है। दूसरी तरफ बीजेपी के कार्यकर्ताओं, लोकल बॉडी से जुड़े लोगों की भी हत्याएं की हैं।
जम्मू-कश्मीर में लगातार क्यों हो रही गैर-कश्मीरियों की हत्या?
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खासतौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
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