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पद्मश्री प्रो दिगंबर हांसदा के निधन से आदिवासी समाज को बड़ा नुकसान

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आदिवासी शिक्षाविद और पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा का गुरुवार सुबह निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के साथ भारतीय संविधान का संताली भाषा में अनुवाद करने के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.उनकी पत्नी पार्वती हांसदा की मृत्यु कई साल पहले हो गई थी. परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। एक बेटी तुलसी हांदसा की मृत्यु हो चुकी है. आदिवासियों और उनकी भाषा के उत्थान के क्षेत्र में प्रोफेसर दिगंबर हांसदा का महत्वपूर्ण योगदान है. वे केन्द्र सरकार के आदिवासी अनुसंधान संस्थान के सदस्य रहे और उन्होंने सिलेबस की किताबों का देवनागरी से संताली में अनुवाद किया.इसके अलावा राज्य सरकार के अधीन उन्होंने इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संताली भाषा का कोर्स संग्रहित किया.दिगंबर हांसदा एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य रह चुके है. 16 अक्तूबर 1939 को nh33 से सटे बेको क्षेत्र के दोवापानी गांव में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने सरना गद्य-पद्य संग्रह, संताली लोककथा संग्रह, भारोतेर लौकिक देव देवी, गंगमाला लिखी थी. प्रारंभिक शिक्षा राजदोहा मध्य विद्यालय से हुई इसके बाद मानपुर हाईस्कूल से पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर किया उनका विषय पोलिटिकल साइंस था.


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