पश्चिम बंगाल में अगले साल विधआनसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक बयानों और घटनक्रमों से यह कहने में कहीं से भी गुरेज नहीं की जा सकती है कि राज्य में बिगुल बज चुका है। हाल के दिनों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) और लोकससभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तल्खी तो दिखी है साथ ही टीएमसी के भीतर बागी तेवर अपनाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इन नेताओं में मंत्री और विधायक भी शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल की सियासी सरगर्मी को टीएमसी विधायक और आसनसोल नगर निगम के चेयरमैन जितेंद्र तिवारी ने अपने बयानों से और तेज कर दिया। उन्होंने ममता सरकार के खिलाफ बागी तेवर अपना लिया। उन्होंने राज्य सरकार में मंत्री फ़रहाद हकीम को चिट्ठी लिखी है।
अपनी चिट्ठी में उन्होंने कहा, ‘हमारे शहर (आसनसोल) को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार द्वारा चुना गया था। लेकिन राजनीतिक कारणों से राज्य सरकार के द्वारा हमें इसकी सुविधा का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया।’
नाराज मंत्री राजीब बनर्जी को मनाने की कोशिश, शुभेंदु अधिकारी की सहयोगी को निकाला
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वरिष्ठ नेताओं में बढ़ती नाराजगी और बागी रुख से चिंतित सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व ने रविवार को ममता सरकार में मंत्री राजीब बनर्जी को मनाने की कोशिश की। पार्टी से असंतुष्ट चल रहे बनर्जी से बातचीत करके मतभेदों को दूर करने की कोशिश की गई है। उधर, पिछले महीने कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले ताकतवर नेता शुभेंदु अधिकारी की करीबी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
पार्टी से बर्खास्त की गईं कनिष्का पांडा पूर्वी मिदनापुर जिले में टीएमसी की सचिव थीं, जहां अधिकारी परिवार दो लोकसभा सीटों और एक विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने के अलावा सिविक बॉडी प्रमुख है। रविवार दोपहर दक्षिण कोलकाता के नाकटाला स्थित घर पर महासचिव पार्थ चटर्जी और प्रशांत किशोर ने बन मंत्री राजीब बनर्जी से एक घंटे तक बात की। हालांकि, चटर्जी चुप्पी ही साधे रहे, बनर्जी ने दावा किया कि राजनीतिक रणनीति पर बातचीत हुई है।
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