Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

सिलीगुड़ी विस सीट पर दिलचस्प चुनावी मुकाबला

- Sponsored -

- Sponsored -


दीपेंद्र सिंह

सिलीगुड़ी, सिलीगुडी विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला बीतते वक्त के साथ दिलचस्प होते चला जा रहा है। नेताओं के पाला बदलने के कारण चुनाव के प्रति लोगों की भी दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। सिलीगुड़ी विधानसभा सीट परांपरिक रूप से वाममोर्चा के कब्जे में रही है। हालांकि वर्ष 2011 के चुनाव में इस सीट पर अशोक भटटाचार्य को हराकर डॉक्टर रूद्रनाथ भटटाचार्य कारनामा कर चुके हैं, लेकिन वे भी इस सीट को लंबे समय तक वाममोर्चा के कब्जे में जाने से नहीं रोक पाये। इस तरह से 2016 के विधानसभा चुनाव में सिलीगुडी सीट एक बार फिर से वाममोर्चा के कब्जे में चली गयी थी। अब 2021 में यह सीट किसके पाले में होगी, यह तो समय ही तय करेगा, लेकिन इतना तो जरूर है कि इस बार इस सीट पर घमासान मचना तय है। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस नेता नांटू पाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी का जोश बढ़ चला है। पहले नांटू पाल निर्दलीय उम्मीदवारी करना चाहते थे। लेकिन ऐन मौके पर वह पीछे हट गये और भाजपा के हो गये। इधर माकपा के बागी युवा नेता शंकर घोष के उम्मीदवार बनने के बाद गुरू अशोक भट्टाचार्य व शिष्य शंकर घोष के एक दूसरे के खिलाफ मैदान में है।

कभी अशोक भटटाचार्य का उत्तराधिकारी शंकर घोष को माना जाता था। वे एक दूसरे को चाचा व भतीजा के रिश्ते से भी जोड़कर देखते रहे हैं, लेकिन अब राजनीति की महिमा कहें चाचा व भतीजा चुनावी मैदान में एक दूसरे के खिलाफ हैं। अब वे एक दूसरे की कमियां निकालने से गुरेज नहीं करते। इनके जीत व हार के लिएं कुछ दिन और इतंजार करना होगा, क्योंकि लोकतंत्र में मतदाता अहम कड़ी होता है। उसके फैसले ही सर्वोपरी होता है। लेकिन इतना तो तय है कि अशोक भटटाचार्य के पास राजनीति का अनुभव है तो शंकर के पास युवा चेहरा और तृणमूल उम्मीदवार डॉक्टर ओम प्रकाश मिश्रा के पास सरकार की नीतियां गिनाने के अवसर हैं। हालांकि जानकारों का यह भी मानना है कि शंकर घोष सिलीगुड़ी के बजाय डाबग्राम -फुलबाड़ी के चुनावी दांव आजमाते तो उनकी सफलता ज्यादा सुनिश्चित होती। हालांकि शंकर घोष को बीजेपी से टिकट मिलने के बाद बीजेपी के कैडर अपनी जुबान खोलने लगे थे। लेकिन बीजेपी नेताओं ने तुरंत डैमेज कंट्रोल कर लिया। बागी आलोक सेन को मनाने की हरसंभव कोशिश जारी है। इससे पहले भाजपा नेता कैलाश विजय वर्गीय एक शब्द में विषय को स्पष्ट कर चुके हैं कि बीजेपी जीतने वाले घोड़े पर ही दांव लगाने में विश्वास रखती है और शंकर उनके लिए जीतने वाले उम्मीदवार हैं। अब देखना बाकी है कि सिलीगुड़ी सीट पर लकी मैन कौन होता है । चुनाव में हर दिन पैतरे व सियासी चाल देखने केा मिल रहे हैं और यह होना अस्वाभाविक भी नहीं है, क्योंकि चुनाव में जीतने के लिए ही लोग सबकुछ दांव पर लगाते हैं और जीतने वाला ही लकी मैन होता है। यू ही नहीं कहते हैं कि राजनीति और युद्ध में सब जायज होता है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.