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जेएनयू में कचरे में फेंकी शिवाजी की तस्वीर, लेफ्ट और एबीवीपी का एक-दूसरे पर आरोप

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नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू ) और विवाद का चोली-दामन जैसा संबंध हो गया है। देश की इस प्रतिष्ठित विवि से एक विवाद समाप्त होता नहीं कि दूसरा शुरू हो जाता है। बीते दिनों यहां बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद मचा था। अब रविवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर छात्रों के दो गुट आमने-सामने आ गए। इससे विवि का माहौल फिर खराब हुआ है। सोशल मीडिया पर विवाद से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो शेयर की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार रविवार शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और लेफ्ट छात्र संगठनों के बीच झड़प हुई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जेएनयू के छात्रसंघ कार्यालय में एक पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसके बाद उस चित्र को कार्यालय में ही लगे अन्य चित्रों के साथ लगा दिया गया।
शिवाजी की फोटो और फूलमाला उठाकर कचरे में फेंका-
लेकिन थोड़ी देर बाद वामपंथी छात्र संगठनों के लोगों ने वहां पहुंचकर शिवाजी की फोटो और फूलमाला उठाकर कचरे में फेक दिया। जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने दोबारा दीवार पर फोटो लगाने का प्रयास किया तो उनके साथ लेफ्ट छात्र संगठनों से जुड़े लोगों ने मारपीट की। एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता।
छात्रसंघ का दावा- एबीवीपी के छात्रों ने किया हमला-
वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया।
शिवाजी की फोटो लगाया जाना वामपंथियों को रास नहीं आया-
छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है। वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।


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