यूनिवर्स टीवी डेस्क। चैत्र नवरात्रि में कल से शुरू हो रहा है और इन नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन ज्यादातर घरों में घटस्थापना और अखंड ज्योति भी प्रज्वलित की जाती है। अखंड ज्योत जब जलाते हैं, तब उसे नौ दिन बिना बुझे जलाने का प्रावधान होता है। अखंड ज्योति केवल दीपक नहीं होता बल्कि यह भक्ति का प्रकाश होता है, जो नौ दिन तक माता को अर्पित करते हैं। यह ज्योति हमारे तन और मन के अंधकार को दूर करती है और मां दुर्गा के आशीर्वाद से हमें संपूर्ण ज्ञान मिल सके इसलिए भी अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं। शास्त्रों में नवरात्रि के समय अंखड दीपक जलाने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों को ध्यान में रखते हुए अंखड दीपक प्रज्वलित करना चाहिए ताकि आप जो कार्य कर रहे हैं, उसका पूर्ण फल प्राप्त हो सके। आइए जानते हैं नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित करने के शास्त्रीय नियम और महत्व…
नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने का महत्व
दीपक दो तरह के होते हैं, एक कर्मदीप जो पूजा-अर्चना के समय जलाया जाता है और दूसरा अखंड दीपक जो जब तक त्योहार रहता है, तब जलाया जाता है। मान्यता है कि अखंड दीपक जलाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और मां दुर्गा का परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही घर का नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाता है, जिससे कलह और झगड़े खत्म हो जाते हैं। बताया जाता है नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने से घर का वास्तु दोष भी दूर होता है और भाग्योदय होने से सभी दुख व कष्ट भी दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्रि में अखंड दीपक के सामने जप करने से व्यक्ति को हजार गुना फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने के नियम
अखडं दीपक प्रज्वलित करने से पहले माता के सामने मन में ज्योत जलाने का संकल्प करना चाहिए और मां से इस संकल्प को पूरा करने का आशीर्वाद मांगें। फिर हाथ जोड़कर भगवान गणेश, माता दुर्गा और शिवजी की आराधना करें। फिर ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते’ मंत्र का जप करें।
अखंड दीपक जलाने का नियम नंबर 2
अखंड दीपक दो चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर या पटरी पर रखकर जलाएं। अखंड दीपक को अगर माता के सामने जमीन पर रख रहे हैं तो उसके नीचे अष्टदल बनाएं और फिर दीपक जलाएं। अष्टदल को हमेशा पीले चावल या गुलाल से बनाएं। अखंड दीपक की बाती हमेशा रक्षासूत्र यानी कलावा से बनाई जाती है, जो सवा हाथ की होनी चाहिए। इसके बाद रक्षासूत्र को दीपक के बीच में रख दें।
अखंड दीपक जलाने का नियम नंबर 3
ज्योत के लिए देसी घी का इस्तेमाल करें। अगर घी नहीं है तो सरसों का तेल या तिल के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अखंड दीपक को माता के दाईं ओर रखें, अगर तेल का दीपक जला रहे हैं तो उसे बाईं ओर रखें। अगर आपके पास पीतल का दीपक नहीं है तो मिट्टी के बड़े दीपक का प्रयोग कर सकते हैं। दीपक की लौ को हवा से बचाने के लिए कांच की चिमनी का से ढ़ककर रखें।
अखंड दीपक जलाने का नियम नंबर 4
अखंड दीपक को आग्नेय कोण में रखना शुभ माना जाता है। अखंड दीपक की बाती को बार-बार नहीं बदलना चाहिए और दीपक से दीपक भी नहीं जलाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से रोग में वृद्धि होती है। संकल्प पूरा हो जाने के बाद अखंड दीपक को फूंक मारकर या गलत तीरके से बुझाना नहीं चाहिए बल्कि दीपक को स्वंय बुझने देना चाहिए।
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