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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्कूलों में छात्राओं को मुफ्त मिलें सैनिटरी पैड

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाते हुए सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को एक खास निर्देश दिया है। इस निर्देश के तहत इन सभी को वहां पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड देने के लिए कहा गया है। इसके लिए पैड्स के लिए वेंडिंग मशीन लगाने से लेकर पैड्स के निस्तारण के लिए समुचित व्यवस्था करनी होगी। यह आदेश उन सभी स्कूलों के लिए है जहां पर अपर प्राइमरी/सेकेंडरी/हायर सेकेंडरी कक्षाओं में छात्राएं पढ़ती हैं।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। असल में अदालत में जया ठाकुर ने जनहित याचिका दी है। अदालत ने राज्य सरकारों को छात्राओं की सुरक्षा और साफ-सफाई का इंतजाम करने के लिए भी कहा है। इसके अलावा स्कूलों में छात्राओं के लिए माहवारी (पीरियड्स) के दौरान स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए मानक आदर्श प्रक्रिया (SOP) और प्रबंधन का नैशनल मॉडल विकसित करने को भी कहा है।
अदालत ने माहवारी के दौरान स्वच्छता की अहमियत को एक बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह सभी पक्षकारों को शामिल कर देश के स्कूलों में माहवारी को ध्यान में रखते हुए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाए। इसके लिए जो भी जरूरी डेटा हो, वह तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जुटाया जाए। बेंच ने इस बात पर भी गौर किया कि केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालयों में माहवारी के दौरान स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं हैं। अदालत ने सरकार से जुलाई अंत तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।


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