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बाघ हर महीने एक आदमी का कर रहे हैं शिकार, आतंक के साये में जी रहे हैं लोग, 14 गांवों में लगा कर्फ्यू, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद

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देहरादून। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में पिछले वर्ष आदमखोर बाघ 11 लोगों का आपने शिकार बना चुका हैं। बाघ के आंतक को देखते हुए रिखणीखाल और धुमाकोट तहसील के दर्जनों गांवों में शाम 7 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है, य़ानी शाम 7 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक यहां कोई बाहर नहीं निकल पाएगा। रिखणीखाल और धुमाकोट तहसील के 14 गांवों में बांघ का आतंक है। इन गांवों में नाइट कर्फ्यू लागू है। शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू रहता है। पौड़ी जिले में पिछले वर्ष में वन्यजीवों के हमले में 11 लोग जान गंवा चुके हैं। वहीं, 41 लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक 5 मौत गुलदार के हमले से हुई है। हाल की दिनों में बाघ के हमले से तीन लोगों की मौत हुई है। इनमें 2 मौत तो हाल ही में रिखणीखाल और नैनीडांडा प्रखंड के गांव में हुई है। इसके अलावा 18 अप्रैल तक इन दोनों तहसीलों के स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे, एक भी स्कूल यहां नहीं खुलेगा और ये सब हुआ है एक आदमघोर बाघ की वजह से उत्तराखंड के कई गांवों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
शिकायत को प्रशासन ने हल्के में लिया
जिन 24 गांव में बाघ का आतंक है, ये इलाके जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से लगे हुए है। पिछले कई दिनों से गांव के आसपास बाघ दिखने की शिकायत लोग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। इससे ग्रामीणों को अपनी जान से गंवानी पड़ी। इसके बाद प्रशासन जागा और सतर्कता बढ़ाते हुए पकड़ने के लिए जाल बिछाया है।
ये एरिया खतरनाक
कार्बेट टाइगर रिजर्व 1318.54 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका 521 वर्ग किलोमीटर हिस्सा कोर जोन और 792.72 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा बफर जोन में आता है। कोर जोन का 312.86 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा पौड़ी जिले में आता है। ये पौड़ी जिले के रथुवा ढाब क्षेत्र में है। इस क्षेत्र में जिम कार्बेट पार्क की सीमा करीब 62 किलोमीटर लंबी है। इन दिनों इसी क्षेत्र में बाघ आतंक है। तैड़िया, पांड, झुडुंग जैसे कई गांव टाइगर रिजर्व के बफर जोन में आते हैं। इससे लोगों को इसका दंश झेलना पड़ रहा है। सेंधीखाल से शुरू होने वाली सीटीआर की सीमा मैदान तक है। यह करीब 62 किलोमीटर लंबी है।
बाघ के अलावा गुलदार का भी आतंक
पौड़ी जनपद ही नहीं पूरे प्रदेश के लिए गुलदार का आतंक है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से 2018 में जारी एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो उत्तराखंड में 839 गुलदार की मौजूदगी दिखाई गई थी। एनटीसीए की टीम ने गुलदार की गणना के लिए 10 स्थानों पर कैमरा लगाए थे, जिसमें कार्बेट टाइगर रिजर्व, राजा जी टाइगर रिजर्व, लैंसडॉन, रामनगर, तराई वेस्ट, हल्द्वानी तराई सेंट्रल, तराई ईस्ट, चंपावत और नैनीताल से मिलते हैं।
कोटद्वार में हाथियों का आतंक
पर्वतीय क्षेत्रों में जहां गुलदार का आतंक है तो वहीं कोटद्वार क्षेत्र में हाथियों का आतंक है। पिछले 1 वर्ष में कोटद्वार के आसपास क्षेत्रों में हाथी के हमले में तीन व्यक्तियों की मौत हो चुकी है, जबकि छह घायल हुए हैं


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