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गरीबी का सितम ! बेटे का शव लाने के नहीं थे पैसे, पुतला बनाकर किया अंतिम संस्कार, मां-बाप नहीं कर पाए अंतिम दर्शन

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औरंगाबाद। अपना देश भारत को भले ही विकसित देश बनाने का सपना देख जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि देश में गरीबी और भुखमरी अभी भी इस कदर हावी है, लाखों लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है।
गरीबी को इंसान के जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप कहा गया है जो इंसान से उसके सपने और खुशियां छीन लेते है, कई बार एक गरीब को न चाहते हुए भी ऐसा कदम उठाना पड़ता है, जिससे इंसानियत भी शर्मशार हो जाती है।
बिहार के औरंगाबाद में एक काफी ही संवेदनशील मामला सामने आया है। इस खबर को पढ़कर आप भी भावुक हो जाएंगे। दरअसल औरंगाबाद जिले में एक परिवार पर गरीबी इस कदर हावी हुई कि परिजन तेलंगाना में हुई मौत के बाद बेटे अंकित के शव को भी अपने गांव तक नहीं ला सके। परिवार ने पुतला बनाकर अंकित का दाह संस्कार कर दिया। गरीबी का दर्द बयां करती यह खबर औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखंड के शिवपुर गांव से जुड़ी है।
मिली जानकारी के अनुसार शिवपुर गांव के सुरेंद्र मालाकार का 21 वर्षीय पुत्र अंकित तेलंगाना के जगदलपुर जिले के बेलकाटुर में रहकर जीबीआर नामक प्राइवेट कंपनी में काम करता था, लेकिन, पिछले 1 मई को वह अचानक लापता हो गया था, उसके साथ रहने वाले उसके बहनोई राजन भगत ने काफी खोजबीन की लेकिन जब उसका कुछ भी पता नहीं चल सका। इसके बाद राजन ने घरवालों को इसकी सूचना दी।
इसी बीच 3 मई को पता चला कि अंकित का शव बेलकाटूर के जंगल के किसी पेड़ से लटका है। सूचना पाकर राजन जब मौके पर पहुंचा तो पाया कि शव उसके साले अंकित का ही था। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव को उसके बहनोई राजन को सौंप दिया। अब दाह संस्कार के लिए शव को औरंगाबाद लाए जाने की बारी थी। मगर परिवार पर गरीबी का दानव मुंह बाए खड़ा था। बहनोई की आर्थिक दशा भी ठीक-ठाक नहीं थी। नतीजतन, शव को औरंगाबाद नहीं लाया जा सका और उसे वहीं दफना दिया गया।
शव को औरंगाबाद लाए जाने की बात तो दूर, पैसों की कमी की वजह से परिवार का कोई सदस्य तक तेलंगाना नहीं जा सका। ऐसी स्थिति में थक हारकर परिवार ने पुतला बनाकर अंकित का दाह संस्कार कर दिया। परिजनों को अंकित का शव नहीं ला पाने का गम खाए जा रहा है वहीं इकलौता कमाऊ बेटे के अचानक चले जाने से परिजनों के खाने के लाले भी पड़ गए हैं। इधर ग्रामीणों ने प्रशासन के साथ साथ जन प्रतिनिधियों से भी इस बेहद गरीब परिवार को आर्थिक मदद पहुंचाने की गुहार लगाई है ताकि अंकित का क्रिया कर्म किया जा सके।


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