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बेटे की मौत के बाद मां ने दायर की याचिका : कलकत्ता हाई कोर्ट ने की खारिज, कहा -अस्पताल में मच्छर काटने से मौत दुर्घटना नहीं

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कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दुर्घटना बीमा के दावे के एक मामले में आदेश जारी किया है कि अस्पताल में मच्छर के काटने से होने वाली मौत को भारत में “दुर्घटना” नहीं कहा जा सकता है और वह बीमा से मिलने वाले मुआवजा का हकदार नहीं होगा। कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य चित्रा मुखर्जी अपने बेटे सेना के जवान की घुटने की सर्जरी के बाद गुर्दे की बीमारी सहित जटिलताओं के लिए इलाज के दौरान डेंगू से मृत्यु के बाद उसकी मां द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
अदालत ने अपने बेटे की मौत के लिए एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अस्पताल में मच्छर के काटने के बाद हुए डेंगू से अन्य जटिलताओं के अलावा हुई मौत को एक दुर्घटना के रूप में माना जाना चाहिए।
अस्पताल में बेटे की मौत के बाद मां ने दायर की याचिका
बता दें कि याचिकाकर्ता के बेटे की दिसंबर 2021 में अलीपुर में कमांड अस्पताल में मौत हो गई थी. उसे मौत के आठ दिन पहले डेंगू हो गया था। उसके मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण डेंगू तथा अन्य रोगों को करार दिया गया था। मृतक की मां चित्रा मुखर्जी ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को एक दुर्घटना बीमा का दावा दायर किया, लेकिन अगले साल सितंबर में इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि मृत्यु का कारण गैर-दुर्घटना थी। इसके खिलाफ मृतक की मांग ने कोर्ट में मामला दायर किया।
चित्रा ने तर्क दिया था कि मच्छर के काटने को एक दुर्घटना के रूप में माना जाना चाहिए, क्योंकि यह अस्पताल में हुआ था। जहां यह अप्रत्याशित था। उसने यह भी कहा था कि सेना के जवानों की बीमा पॉलिसियों को नागरिकों की तुलना में अलग तरह से व्यवहार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने मृतक की मांग की याचिका की खारिज
न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि बीमा कंपनी के इनकार को “मनमाना या अनुचित” के रूप में नहीं देखा जा सकता है, न ही बीमा पॉलिसी इसे अनुमति देती है। न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा कि अस्पताल में मच्छर के काटने को दुर्घटना नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने इसी तरह के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले का भी जिक्र किया। उस उदाहरण में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की पीठ ने एक राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को ठुकरा दिया था, जिसमें मच्छर के काटने को एक दुर्घटना माना गया था।
उस मामले में, मोजाम्बिक में चाय बागान प्रबंधक के रूप में काम करने वाले बारासात के एक व्यक्ति की नवंबर 2012 में मलेरिया से मृत्यु हो गई थीय बीमा कंपनी ने उनके परिवार के दावों को खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा था, “इन आंकड़ों के आलोक में मच्छर के काटने से इंसेफेलाइटिस मलेरिया की बीमारी को एक दुर्घटना नहीं माना जा सकता है।यह न तो अप्रत्याशित था और न ही अप्रत्याशित है। ”


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