जालंधर। जालंधर लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील रिंकू ने निर्णायक बढ़त बना ली है। वो 42 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं। दूसरे स्थान पर कांग्रेस की करमजीत कौर चौधरी हैं। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के इंदर इकबाल सिंह है तो वहीं शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठबंधन चौथे स्थान पर है।
खास बात यह है कि सुशील कुमार रिंकू कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से ही राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। हालांकि, जालंधर लोकसभा उपचुनाव से पहले ही उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली। बता दें कि रिंकू 1990 में एनएसयूआई के सक्रिय सदस्य रहे हैं। 1992 में अकाली दल के उपचुनाव के दौरान सुशील कुमार रिंकू ने युवाओं को चुनाव के लिए तैयार किया और बूथ स्तर के कार्यकर्ता के रूप में काम किया।
2006 में पार्षद बने थे रिंकू
इसके बाद, साल 994 में सुशील रिंकू को डीएवी कॉलेज जालंधर में श्री गुरु रविदास की सांस्कृतिक सोसायटी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। इन्होंने साल 2002 में लोकसभा चुनाव के दौरान कार्यकर्ता के रूप में काम किया। इसके बाद वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नजर में आए। उन्होंने 2006 में निकाय चुनाव लड़े और वह पार्षद चुने गए। उन्होंने 2500 वोटों से जीत हासिल की।
रिंकू का परिवार भी कांग्रेस में था
आप को जालंधर उपचुनाव में जीत दिलाने वाले सुशील रिंकू ने कांग्रेस पार्टी की खूब सेवा की। उनका परिवार भी कांग्रेस से ही जुड़ा रहा। उनके चाचा और पिता ने लगभग हर विधानसभा और संसद चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1977 में आपातकाल के दौरान, उनके पूरे परिवार को कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने के लिए जेल में डाल दिया गया था।
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