इलाहाबाद। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी। शुक्रवार को हाई कोर्ट ने मथुरा की निचली कोर्ट में चल रहे सभी मामलों को अपने पास स्थानांतरित करने का फैसला लिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने हिंदू पक्ष की एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें कहा गया था कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का मामला राष्ट्रीय महत्व रखता है और इससे जुड़े सभी मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए।
क्या है मामला?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा हुआ है। 12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया था। समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी। इसके तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इसी पर पूरा विवाद है।
क्या है मालिकाना हक का विवाद?
‘भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर’ के नाम से वकील रंजना अग्निहोत्री और 7 अन्य लोगों ने 26 सितंबर, 2020 को मथुरा सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन) में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने दावा किया था कि शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर ही बनाया गया है। ऐसे में उसे हटाते हुए पूरी 13.37 एकड़ श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को मिलना चाहिए।
याचिका में 1968 के समझौते को दी गई है चुनौती
इस याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच साल 1968 में हुए समझौते को चुनौती दी गई है। मामले में निचली कोर्ट में मालिकाना हक से जुड़े 13 अलग-अलग मुकदमे दायर हुए थे, जिनमें से 2 खारिज हो चुके हैं। पहले हाई कोर्ट ने इस विवाद को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए मथुरा जिला जज को दोनों पक्षों को नए सिरे से सुनकर सिविल विवाद को तय करने का निर्देश दिया था।
क्या है हिंदू पक्ष का दावा?
हिंदू पक्ष का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी। उनके अनुसार, औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवान केशव देव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था। इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई। इसी आधार पर उन्होंने पूरी जमीन पर दावा किया है। मुस्लिम पक्ष इन दावों को खारिज करता है।
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