बंगाल में कांग्रेस को बड़ा झटका, एकमात्र विधायक तृणमूल कांग्रेस हुए शामिल, अभिषेक बनर्जी के हाथों थामा पार्टी का झंडा
कोलकाता। लोकसभा चुनाव के पहले पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक के पहले तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में कांग्रेस को झटका दिया है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एक मात्र विधायक बायरन विश्वास सोमवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये। बायरन बिस्वास ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के हाथों तृणमूल कांग्रेस का झंडा थाम कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान किया।
बायरन बिस्वास हाल में सागरदीघी विधानसभा उपचुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को पराजित कर विजयी हुए थे। कांग्रेस की जीत तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी पराजय मानी जा रही थी।
कांग्रेस विधायक बिस्वास तृणमूल कांग्रेस में हुए शामिल
तृणमूल कांग्रेस ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर बायरन बिस्बास के टीएसमी में शामिल होने का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस के ट्वीटर अकाउंट में कहा गया है कि बायरन बिस्वास के टीएसमी में शामिल होने से विघटनकारी ताकतों से लड़ने से मदद मिलेगी।
बायरन के शामिल होने से विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या हुई शून्य
सागरदिघी चुनाव का परिणाम 2 मार्च को घोषित किया गया था. फिर 90 दिन भी नहीं बीते कि बायरन तृणमूल में शामिल हो गए। बायरन बिस्वास ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नबज्बार कार्यक्रम में टीएमसी का झंडा थाम लिया। इससे फिर से विधानसभा में कांग्रेस विधायक की संख्या शून्य हो गई है।
बायरन के चुनाव के बाद ही अटकलें तेज थीं कि वह कांग्रेस में कितने समय तक रहेंगे। रिजल्ट की घोषणा के दिन उनसे यह सवाल पूछा गया था। वोट जीतने के बाद बायरन ने कहा था, “तृणमूल मुझे नहीं खरीद सकती। मैं तृणमूल को खरीद लूंगा.” लेकिन आज वह टीएमसी में शामिल हो गये।
बायरन के कांग्रेस में जाने के बाद प्रदीप भट्टाचार्य ने टीएमसी पर साधा निशाना
दरअसल, बंगाल की राजनीति में दल परिवर्तन कोई नयी बात नहीं है.. कम से कम भाजपा के आठ विधायक भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, लेकिन बायरन की जीत के दूसरे मायने थे, क्योंकि अल्पसंख्यक बहुल सागरदिघी में वाम-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार की जीत को कई लोग बंगाल की राजनीति में मील का पत्थर मान रहे थे।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि बायरन के चले जाने का डर था। तृणमूल ने पहले भी ऐसा किया था। ऐसा विश्वासघात गलत है। तृणमूल कांग्रेस को कीमत चुकानी पड़ेगी।ऐसा न करते तो अच्छा होता. यह गठबंधन की धर्म के खिलाफ है।
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