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अखंड भारत पर नेपाल के बाद पाकिस्तान को लगी मिर्ची, कहा-गुलाम बनाना चाहता है इंडिया

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नई दिल्ली। देश की नई संसद में अखंड भारत का नक्शा पड़ोसी मुल्कों को रास नहीं आ रहा है। पहले नेपाल ने इस पर आपत्ति जताई तो अब पाकिस्तान को इस नक्शे से मिर्ची लग रही है. पाकिस्तानी सरकार इस नक्शे को देखकर ही टेंशन में आ गई है।
नेपाल के दो पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और बाबूराम भट्टराई भी इस नक्शे को लेकर जहर उगल चुके हैं। बीते रविवार को ही भारत की नई संसद का उद्घाटन हुआ है। इस भव्य इमारत में प्राचीन भारत से जुड़ी बहुत सी चीजें हैं। संसद परिसर में अखंड भारत का नक्शा भी है, जिसमें नेपाल, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, तिब्बत और श्रीलंका को भारत का हिस्सा दिखाया गया है।
टेंशन में पाकिस्तान
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने अखंड भारत के नक्शे का विरोध किया है। बलोच ने मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि संसद परिसर में ‘अखंड भारत’ के चित्र और बीजेपी नेताओं के बयानों से पाक सरकार काफी हैरान है।
बलोच ने कहा कि अखंड भारत का गैर-जरूरी दावा पड़ोसी मुल्क की विस्तारवादी सोच को दिखाता है। भारत न सिर्फ पड़ोसी मुल्कों को अपना गुलाम बनाना चाहता है बल्कि अपने यहां अल्पसंख्यकों को भी अपने अधीन रखता चाहता है।
लुंबिनी-कपिलवस्तु नक्शे में
अखंड भारत के नक्शे में लुंबिनी और कपिलवस्तु भी हैं। लुंबिनी में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जबकि कपिलवस्तु में उनका बचपन बीता था. इसे लेकर नेपाल में बवाल मच गया. वो भी तब जब नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भारत दौरे पर हैं।
अक्सर चीन के सामने नतमस्तक होने वाले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि यह सही नहीं है। अगर भारत जैसा प्राचीन- मजबूत और लोकतंत्र के मॉडल के रूप में पहचान पाने वाला भारत अगर अपने नक्शे में नेपाल के हिस्से को दिखाता है और उसे संसद में टांगता है, तो इसे सही नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत दौरे पर गए नेपाली पीएम को इसका विरोध दर्ज कराना चाहिए।
भट्टरई की चेतावनी
नेपाली समाजवादी पार्टी के चेयरमैन बाबूराम भट्टरई ने कह दिया था कि इस विवाद से दोनों देशों के रिश्ते सबसे खराब स्थिति में पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में ‘अखंड भारत’ के विवादास्पद भित्ति चित्र से भारत-नेपाल के बीच बिना वजह विवाद भड़क सकता है।दोनों देशों के रिश्ते पहले से ही खराब हैं, इससे और ज्यादा मामला बिगड़ेगा. भारत सरकार को समय रहते इस विवाद को सुलझा देना चाहिए।
चीन चुप
अखंड भारत के नक्शे को लेकर चीन ने कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि चीन ने कुछ ही दिन पहले भारत की नई संसद की काफी तारीफ की थी और कहा था कि यह अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीकों को मिटाने की ओर यह एक अच्छा कदम है। अखंड भारत में म्यांमार, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका भी हैं. इनकी ओर से भी कोई टिप्पणी नहीं की गई है।


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