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हृदय विदारक : बालासोर ट्रेन दुर्घटना में मां-बाप मर चुके थे, रोते-रोते बच्चे की भी मौत हो गई

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बालासोर (ओडिशा)। ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन दुर्घटना में अब तक मरने वालों की संख्या 288 पहुंच चुकी है। शुक्रवार शाम को 7 बजे के क़रीब हुए हादसे के बाद राहत बचाव का काम शुरू हो चुका था और इसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। घटनास्थल का दौरा करने गए राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी स्थानीय लोगों की तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की सहायता से ही बीती रात से मलबे से लोगों को निकालने का काम शुरू हो गया था।
चश्मदीदों ने क्या कहा
एक चश्मदीद टूटू विश्वास ने दुर्घटना के बाद का मंज़र बयान किया। उन्होंने बताया कि जब ये हादसा हुआ तो उस समय वो घर पर ही थे। टूटू विश्वास ने बताया, “हमें ज़ोर से आवाज़ आई. हम घर से बाहर निकल आए तो देखे कि बाहर ये दुर्घटना हो चुकी थी. मालगाड़ी के ऊपर ट्रेन चढ़ गई थी।” “जब मैं यहां पहुंचा तो देखा बहुत से लोग घायल थे, कई लोगों की मौत हो चुकी थी। एक छोटा बच्चा यहां पर रो रहा था जिसके माता-पिता की मौत हो चुकी थी। रोते रोते उस बच्चे की भी मौत हो गई।” “बहुत से लोग यहां पानी मांग रहे थे. मैंने जितना संभव था लोगों को पानी दिया. हमारे गांव से लोग यहां आकर लोगों की मदद कर रहे थे।”
टूटू विश्वास ने बताया कि घटनास्थल पर कई लोग जख़्मी थे और ट्रेन से बाहर निकल रहे थे.उन्होंने कहा, “कुछ घायल लोगों को हम बस स्टॉप पर लेकर गए तो वो हमारा धन्यवाद करने लगे. कल का जो दृश्य था वो देखकर हमारा दिमाग काम नहीं कर रहा था. मेरे शरीर पर ख़ून ही ख़ून फैल गया था।” एक चश्मदीद गिरिजाशंकर रथ ने बताया, “शाम को जब ये हादसा हुआ तो एक ट्रेन अप से आ रही थी दूसरी डाउन से आ रही थी। वहीं एक पटरी पर मालगाड़ी वहीं पर खड़ी थी. कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर कर मालगाड़ी से टकराई. वहां अफ़रातफ़री मच गई।” “दूसरी तरफ से डाउन गाड़ी शालीमार एक्सप्रेस आ रही थी। वो पीछे से टकराई. उसके दो डिब्बे भी पटरी से उतर गए। चारों तरफ अफरातफरी मची हुई थी। हम वहां दौड़ कर पहुंचे और लोगों की मदद करने में जुट गए. हमने लोगों को डिब्बे से बाहर आने में मदद की। ये काम क़रीब रात भर चलता रहा।”
घायलों ने क्या बताया
हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार मुकेश पांडे ने घटना के बारे में बताया। घायल अवस्था में अस्पताल में मौजूद मुकेश पांडे ने बताया कि उन्हें ज़ोर से झटका लगा और ट्रेन पटरी से उतरकर पलट गई। उन्होंने बताया, “आधे से पौन घंटे के बाद मैं ट्रेन से बाहर निकला तो देखकर अचंभे में पड़ गया। कोई भी सामान नहीं मिला। जो लोग बाहर गंभीर हालत में थे उन्हें पहले इलाज के लिए लेकर जाया गया. उसके बाद हमें लेकर जाया गया।” “बहुत सारे लोग मारे गए हैं लेकिन मैं किसी को पहचानता नहीं हूं।” बिहार के मधेपुरा ज़िले के सनी कुमार भी कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे। वो बताते हैं कि घटना के बाद वो बेहोश हो गए थे और आधे घंटे के बाद उन्हें प्राइवेट टैंपो से अस्पताल के लिए पहुंचा दिया गया था।
रेलवे प्रशासन अब क्या कह रहा
रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया है कि ‘राज्य सरकार ने जो डेटा बताया है उसमें 238 की मौत हो गई है, जो लोग इस दुनिया में नहीं है उनकी बॉडी को उनके परिजनों को सौंप दिया जाए. उन्हें मुआवज़ा तुरंत मिल जाएगा. 100 से अधिक लोगों को ये मुआवजा दे दिया गया है।’ “बालासोर, सुरू और बाहानगर बाज़ार में मुआवज़ा देने के लिए तीन काउंटर बनाए गए हैं. यहां से लोगों को मुआवज़ा दिया जा रहा है।” “जो जांच समिति बनाई गई है उसके प्रमुख दक्षिण पूर्व रेलवे के कमिश्नर रेलवे सेफ़्टी हैं. उनकी टीम कभी भी साइट पर पहुंच सकती है। इस तरह की किसी भी जांच में दुर्घटना स्थल का मुआयना पहला क़दम होता है. उनके वहां पहुंचते ही जांच की आधिकारिक शुरुआत हो जाएगी।”
अमिताभ शर्मा ने बताया कि ‘अब तक 48 ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं. 39 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं. ये आंकड़े कुछ समय में बदल भी सकते हैं क्योंकि स्थिति पल पल बदल रही है।’ “इन ट्रेनों में जो सुरक्षित लोग थे उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए ट्रेनें चलाई गई हैं। एक ट्रेन हावड़ा की ओर गई है जिसमें क़रीब 1000 लोग गए हैं. दूसरे में 200 लोग हावड़ा गए हैं. साथ ही भद्रक से एक ट्रेन अप की तरफ यानी चेन्नई की तरफ गए हैं जिसमें 250 लोग हैं।” “इस दुर्घटना के बाद शुक्रवार को जो ट्रेनें अपनी-अपनी जगह पर रुक गई थीं उन यात्रियों को उनके गंतव्य तक जल्द से जल्द पहुंचाया जाए।हमने उन्हें पहले खाना और पानी मुहैया कराया है. अलग-अलग क्षेत्र के डीआरएम इस पूरी प्रक्रिया को मॉनिटर कर रहे हैं ताकि यात्रियों को कोई समस्या नहीं हो।”


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