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देशभर में जन्माष्टमी की धूम : गुजरात के राजकोट में 5 दिन का मेला लगा, जश्न के लिए मथुरा को सजाया गया

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नई दिल्ली। देशभर में आज जन्माष्टमी सेलिब्रेशन का पहला दिन है। पूरे देश में श्रद्धा और भक्तिभाव से जन्माष्टमी मनई जा रहे और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखि जा रही है। इस साल जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर दोनों दिन मनाई जाएगी। ग्रंथों के मुताबिक ये भगवान कृष्ण का 5250वां जन्म पर्व है। आज त्योहार मनाए जाने का सिलसिला 6 तारीख की रात से शुरू होगा। ज्योतिषियों का मत है कि कृष्ण जन्मोत्सव 6 की रात ही मनाना चाहिए, क्योंकि इसी रात में तिथि-नक्षत्र का वो ही संयोग बन रहा है, जैसा द्वापर युग में बना था।
कृष्ण जन्म के मौके पर उनकी जन्मस्थली मथुरा शहर को सजाया गया है। वहीं, देश के अन्य कृष्ण मंदिरों में भी कृष्ण के जन्म उत्सव की तैयारियां की गई हैं। द्वारका, वृंदावन और मथुरा सहित बड़े कृष्ण मंदिरों में वैष्णव संप्रदाय के मुताबिक 7 तारीख को ये पर्व मनेगा। 7 और 8 की दरमियानी रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव होगा।
गुजरात के राजकोट में मंगलवार से ही जन्माष्टमी के मौके पर पांच दिन लंबा मेला लगाया गया है। ये मेला 9 सितंबर तक जारी रहेगा। गुजरात के अलावा महाराष्ट्र में भी जन्माष्टमी की धूम शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस साल की दही हांडी के लिए प्रो गोविंदा नाम से एक कॉम्पिटीशन आयोजित किया है, जिसमें जीतने वाले को कैश प्राइज दिया जाएगा।
बनारस में 6 को मनेगी जन्माष्टमी
बनारस में जन्माष्टमी 6 सितंबर को ही मनाई जाएगी। हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के डीन प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री का कहना है कि व्रत और पर्वों की तारीख तय करने के लिए धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु नाम के ग्रंथों की मदद ली जाती है। इन दोनों ही ग्रंथों में जन्माष्टमी के लिए कहा गया है कि जब आधी रात में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र हो, तब कृष्ण जन्मोत्सव मनाएं। 6-7 सितंबर की रात में कृष्ण जन्म पर्व मनाएं।
ज्यादातर त्योहार दो दिन क्यों होते हैं?
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हिंदू पंचांग की तिथियां अंग्रेजी कैलंडर के मुताबिक नहीं होतीं। अक्सर तिथियां दोपहर या शाम से शुरू होकर अगले दिन तक होती हैं। जिस तिथि में दिनभर व्रत के बाद पूजन का महत्व होता है, वे ज्यादातर उदया तिथि में मनाई जाती हैं।
जिन तिथियों में रात की पूजा का महत्व ज्यादा होता है, उनमें उदया तिथि का महत्व नहीं देखा जाता। जैसे दीपावली में अगर अमावस्या एक दिन पहले ही शुरू हो गई हो तो अगले दिन उदया तिथि की अमावस्या की बजाय एक दिन पहले की अमावस्या पर रात में लक्ष्मी पूजन किया जाएगा।


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