नासा के ऑर्बिटर ने खींची विक्रम लैंडर की फोटो : इसे चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 4 दिन बाद कैप्चर किया था
नई दिल्ली। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीर शेयर की है। ये तस्वीर चांद की कक्षा में घूम रहे NASA के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) ने 27 अगस्त को खींची थी। विक्रम लैंडर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था।
इससे पहले, ISRO ने 5 सितंबर की शाम को विक्रम लैंडर की 3D फोटो शेयर की थी। इसरो ने X पोस्ट में लिखा- इसे देखने का असली मजा रेड और सियान रंग के 3D ग्लास से आएगा। ये तस्वीर प्रज्ञान रोवर ने लैंडर से 15 मीटर दूर यानी करीब 40 फीट की दूरी से क्लिक की थी।
पहली तस्वीर जो नासा ने साझा की…
नासा ने X पोस्ट में लिखा- LRO ने चांद की सतह पर मौजूद चंद्रयान-3 के लैंडर की सैटेलाइट तस्वीर ली। नासा ने तस्वीर में लैंडर को एक बॉक्स के अंदर दिखाया है। साथ ही कहा- लैंडर के आस-पास दिख रही रोशनी लैंडर के धुएं के चांद की मिट्टी के संपर्क में आने से बनी है।
दूसरी तस्वीर, जिसे ISRO ने शेयर किया…
विक्रम लैंडर की ये तस्वीर प्रज्ञान रोवर पर लगे दो नेविगेशन कैमरों की मदद से ली गई है। इसरो ने कहा- ये 3-चैनल वाली तस्वीर है। यह असल में दो तस्वीरों का मिश्रण है। एक तस्वीर रेड चैनल पर है। दूसरी ब्लू और ग्रीन चैनल पर है। दोनों को मिलाकर ये तस्वीर बनी है। इस तस्वीर को 3D चश्मे से देखने पर विक्रम लैंडर 3D में दिखेगा।
लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डाला गया
इसरो ने 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया है। इसके पहले 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाला गया था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 22 सितंबर 2023 को फिर से विक्रम लैंडर जाग सकता है।
लैंडर ने स्लीप मोड में जाने से पहले पेलोड्स के जरिए चांद पर नई जगहों की जांच-पड़ताल की थी। उसके बाद ही विक्रम लैंडर को सोने का कमांड दिया गया। फिलहाल सारे पेलोड्स बंद हैं। सिर्फ रिसीवर ऑन है, ताकि वह बेंगलुरु से कमांड लेकर फिर से काम कर सके।
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई थी
ISRO ने 23 अगस्त को 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा कर लिया था। चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।
1. रफ ब्रेकिंग फेज:
लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर था। ऊंचाई 30 Km और रफ्तार 6,000 Km/hr।
ये फेज साढ़े 11 मिनट तक चला। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स कैलिब्रेट किए गए।
लैंडर को हॉरिजॉन्टल पोजिशन में 30 Km की ऊंचाई से 7.4 Km दूरी तक लाया गया।
2. ऐटीट्यूड होल्डिंग फेज:
विक्रम ने चांद की सतह की फोटो खींची और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर किया।
चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था इस बार इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया था।
10 सेकेंड में विक्रम लैंडर की चंद्रमा से ऊंचाई 7.4 Km से घटकर 6.8 Km पर आ गई।
3. फाइन ब्रेकिंग फेज:
ये फेज 175 सेकेंड तक चला जिसमें लैंडर की स्पीड 0 हो गई।
विक्रम लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल कर दी गई।
सतह से विक्रम लैंडर की ऊंचाई करीब 1 किलोमीटर रह गई
4. टर्मिनल डिसेंट:
इस फेज में लैंडर को करीब 150 मीटर की ऊंचाई तक लाया गया।
सब कुछ ठीक होने पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड कराया गया।
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