Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान-बांग्लादेश से पीछे : दुनिया के 125 देशों में 111वां स्थान मिला; केंद्र सरकार ने रिपोर्ट को गलत बताया

- Sponsored -

- Sponsored -


नई दिल्ली। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 125 में 111वां स्थान मिला है। भारत का नंबर पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी पीछे है। भारत को हंग इंडेक्स में 28.7 स्कोर दिया गया है। रैंकिंग सामने आने के बाद सवाल उठना भी शुरू हो चुके हैं। केंद्र सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स की आलोचना की है। उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि संबंधित एनजीओ ने हंगर इंडेक्स के लिए गलत तरीके से मैपिंग की है। यह उनका दुर्भावनापूर्ण इरादा दिखाता है। बता दें कि पिछले साल भारत 121 देशों में 29.1 के स्कोर के साथ 107वें स्थान पर था। दो एनजीओ आयरलैंड की कंसर्न वर्ल्ड वाइड और जर्मनी की वेल्थहंगरलाइफ ने इस बार भी रैंकिंग जारी की है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट को केंद्र ने नकारा
जीएचआई रिपोर्ट(GHI) के अनुसार, भारत में चाइल्ड वेस्टिंग रेट 18.7% है, जो सूचकांक में शामिल देशों में सबसे अधिक है। चाइल्ड स्टंटिंग की दर 35.5% है, जो 15वीं सबसे अधिक है। कुपोषण की व्यापकता 16.6% है और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1% है। रिपोर्ट ने चाइल्ड स्टंटिंग और चाइल्ड वेस्टिंग पर अपना डेटा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-2021) से लिया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस अनुमान पर हमला किया और कहा कि स्टंटिंग और बर्बादी की समस्याएं कई कारकों के कारण होती हैं – स्वच्छता, आनुवंशिकी, पर्यावरण, भोजन के सेवन का उपयोग। इसे केवल भोजन की कमी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि ‘यह भी मुश्किल से ही कोई सबूत है कि चौथा संकेतक बाल मृत्यु दर, भूखमरी का परिणाम है।’
मंत्रालय ने कहा कि सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक ‘पोषित आबादी का अनुपात (PoU)’ 3,000 लोगों पर किए सर्वेक्षण पर आधारित है और इसकी सैंपल साइज बहुत छोटी है।
‘हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट बनाते समय इन बातों को किया इग्नोर’
मंत्रालय ने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट बनाने वालों ने मुफ्त अनाज की आपूर्ति, मध्याह्न भोजन योजनाओं और मिशन पोषण को अनदेखा किया है, जो विशेष रूप से कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए तैयार की गई हैं, जिसकी प्रभावशीलता की निगरानी ‘पोषण ट्रैकर’ ऐप की ओर से की जाती है। इसकी प्रामाणिकता अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा प्रमाणित की गई है। मिशन पोषण और ‘पोषण ट्रैकर’ का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि ऐप पर करीब 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्र पंजीकृत हैं, जिनसे गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, 6 साल से कम उम्र के बच्चों और किशोर लड़कियों सहित 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लाभ होता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि वैश्विक निकायों जैसे यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और विश्व बैंक ने पोषण ट्रैकर को पोषण के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर के रूप में स्वीकार किया है। मंत्रालय ने आगे कहा कि पोषण ट्रैकर के अनुसार चाइल्ड वेस्टिंग का प्रतिशत हर महीने 7.2% से नीचे रहा है, जबकि जीएचआई 2023 में यह 18.7% के मूल्य का उपयोग किया गया है।
रिपोर्ट बनाते समय किन बातों का रखा जाता है ध्यान?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कुपोषण, बाल स्टंटिंग, चाइल्ड वेस्टिंग और बाल मृत्यु जैसी कारकों को ध्यान में रखा जाता है। यह बात इस अध्ययन से जुड़े दो गैर-सरकारी संगठनों, कंसर्न वर्ल्ड वाइड और वेल्थहंगरलाइफ ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के नवीनतम स्कोर में पिछले साल से सुधार हुआ है और यह 2008 तक की चिंताजनक श्रेणी से बाहर निकल गया है, लेकिन यह अभी भी एक गंभीर मामला है। जीएचआई के पीछे के लोग, जिन्हें पिछले दौर में भारत को दी गई रैंकिंग के लिए सरकार और विशेषज्ञों दोनों से आलोचना का सामना करना पड़ा था, ने यह भी कहा कि भारत ने 2011 के बाद उपभोग सर्वेक्षण नहीं किया है, जिससे उन्हें 3,000 लोगों के गैलप पोल पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.