पटना। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर इंडिया गठबंधन ने NDA सरकार को उखाड़ फेंकने का जो संकल्प लिया है, उसका आधार बिहार में तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब ये उम्मीद है कि वो 2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ वाला नतीजा लोकसभा चुनाव 2024 में दोहरा सकते हैं। कागज पर देखें तो राजद, जदयू, वामदल और कांग्रेस के एक साथ चुनाव लड़ने के बाद जातीय समीकरण में एनडीए से काफी आगे दिखता है। पर यहां चौकाने वाली बात तो ये है कि वोट प्रतिशत में आगे रहते हुए भी अभी तक बिहार में ही ये फैसला नहीं किया जा सका है कि कौन दल कहां से और कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। दिलचस्प तो यह है कि महागठबंधन में शामिल कई दलों ने दावे जरूर ठोक दिए हैं।
कांग्रेस को बिहार में 10 सीटों की आस
लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सीटों को ले को ले कर सरगर्मी तेज हो रही है। इंडिया गठबंधन में यह आवाज तेज होने लगी है कौन-कहां से लड़ेगा, यह अब तय हो जाना चाहिए। लेकिन नीतीश कुमार और लालू यादव के मौन साध लेने के बाद दावों का दौर शुरू हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने सबसे पहले दावों का खुलासा किया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अपेक्षा यही होगी कि जहां हमारा मजबूत जनाधार है, जहां से बड़े नेता चुनाव लड़ते रहे हैं, वो सारी सीटें नीतीश और लालू कांग्रेस के लिए छोड़ें।
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JDU और RJD भी म्यान खोल कर तैयार
जदयू का तो 16 लोकसभा सीटों पर लड़ने का अधिकार बनता है। ऐसा इसलिए कि 16 लोकसभा सीटों पर तो जदयू के सीटिंग सांसद हैं। राजद का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में राजद चुंकि 19 लोकसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है, इसलिए राजद कम से कम 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी। सीपीआईएमएल का कहना है कि सीटों का बंटवारा साल 2020 के विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए। सीपीआईएमएल ने सीटों के बंटवारे को लेकर अपना प्रस्ताव राजद के पास भेज दिया है।
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सीट बंटवारे का पेच सुलझाने के चार फॉर्म्युले
पहला- विधान सभा में जिसकी जितनी सीटें: कहा जा रहा है कि विवाद से बचने के लिए 2020 विधान सभा में किसके कितने विधायक हैं उस आधार पर लोकसभा सीटें उन्हें दी जाएंगी। इस आधार पर राजद सबसे बड़ी पार्टी है। इनके 79 विधायक है। दूसरे नंबर पर जदयू है जिसके 45 विधायक हैं। तीसरे नंबर पर कांग्रेस है जिनके 19 विधायक हैं। चौथे नंबर पर माले है जिसके पास 12 विधायक है। इसके अलावा माकपा और भाकपा के भी दो दो विधायक हैं।
दूसरा- बिहार विधान सभा में प्राप्त मत प्रतिशत: एक फॉर्मूला यह भी हो सकता है। इसके अनुसार राजद सबसे बड़ी पार्टी है और उनका वोट प्रतिशत 23.11 प्रतिशत है। जदयू को पिछले विधानसभा चुनाव में 15.42 प्रतिशत मत मिले थे। वाम दलों को मत तो 1. 75 प्रतिशत मिला था मगर सीट सिर्फ 12 मिली थी। कांग्रेस को लगभग 6 प्रतिशत वोट मिले थे और सीटें 19 थीं।
तीसरा- पिछले लोकसभा चुनाव में दलों की स्थिति: इस फॉर्म्युले में जदयू के 16 सीटिंग सांसद हैं। कांग्रेस का एक सीटिंग सांसद हैं। राजद का कोई सीटिंग सांसद नहीं है पर 19 जगहों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी। अब कांग्रेस और वाम दल के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि उनके भी इस अनुपात को देखा जायेगा कि वह कितने स्थान पर दूसरे नंबर पर रहे हैं।
चौथा: एक चर्चा ये भी है कि जदयू और राजद 15-15 सीटों पर लड़ेंगे और गठबंधन में शामिल कांग्रेस को 5 , माले को 3 और भाकपा और माकपा को एक-एक लोकसभा सीट मिलेगी। हालांकि जेडीयू का कहना है कि इंडिया गठबंधन की लड़ाई भाजपा से है। इसलिए सीटों के बंटवारे में कोई परेशानी नहीं होगी। सीट बंटवारे के मामले में बिहार रोल मॉडल बनेगा।
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