नई दिल्ली। साल 1942 में दूसरा विश्वयुद्ध जारी था। उस समय जापानियों ने 1,150 किमी लंबी बर्मा रोड को ब्लॉक कर आवाजाही को पूरी तरह से रोक दिया। वर्तमान में म्यांमार में लशियो और चीन में कुनमिंग को जोड़ने वाला एक पहाड़ी राजमार्ग, अमेरिका के नेतृत्व वाली मित्र सेनाओं ने विमानन इतिहास में सबसे बड़े और सबसे लंबे समय तक चलने वाले एयरलिफ्ट में से एक का संचालन किया था। उस समय ईंधन, गोला बारूद समय भोजन सहित लगभग 6,50,000 टन आपूर्ति की गई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों से लड़ने वाले चीनी प्रतिरोध के लिए बहादुरी से आपूर्ति करते हुए कई विमान पूर्वी हिमालय में दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। इनमें से अमेरिकी विमान भी शामिल थे।
650 विमान हो गए थे गायब
मित्र देशों के विमानों ने असम के हवाई क्षेत्रों से कुनमिंग तक 500 मील का खतरनाक हवाई मार्ग से गुजरे। ये अरुणाचल और म्यांमार के जंगली इलाकों से होकर गुजरे। पायलटों ने इस चुनौतीपूर्ण मार्ग को ‘द हंप’ नाम दिया क्योंकि उनके विमान को गहरी घाटियों से गुजरना था। इसके बाद फिर तेजी से 10,000 फीट से अधिक ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ना था। अप्रैल 1942 और अगस्त 1945 के बीच, 1,600 से अधिक वायुसैनिक और लगभग 650 परिवहन विमान हम्प के दोनों ओर के कठिन पहाड़ों और जंगलों में गायब हो गए। ऐसा कठिन परिदृश्य और खराब उड़ान की स्थितियों की वजह से हुआ।
समेट रहे इतिहास के टुकड़े
अरुणाचल प्रदेश में अब एक म्यूजियम में हवाई करतब के बारे में बिखरे हुए इतिहास के टुकड़ों को समेटा जा रहा है। इस म्यूजियम को ‘द हंप WWII संग्रहालय’ का नाम दिया गया है। यह अरुणाचल प्रदेश राज्य के सबसे पुराने शहर पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट में है। यह असाधारण संग्रहालय उन अमेरिकी विमानों के बरामद अवशेषों को रखने के लिए बनाया गया है जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान लापता हो गए थे। आज भी, अरुणाचल के पहाड़ों में अक्सर अप्रत्याशित मौसम, अचानक तेज़ हवाओं और सेकंड के भीतर शून्य दृश्यता का अनुभव होता है। इससे उड़ान एक कठिन चुनौती बन जाती है।
जल्द होगा संग्रहालय का उद्घाटन
इस म्यूजियम प्रोजेक्ट का नेतृत्व मुख्यमंत्री पेमा खांडू की तरफ से किया जा रहा है। राज्य सरकार इसके आधिकारिक उद्घाटन के लिए भारत में अमेरिकी राजदूत को आमंत्रित करने का इरादा रखती है। खांडू ने इसकी प्रगति पर अपडेट साझा करते हुए ट्वीट किया। सीएम ने लिखा, ‘संग्रहालय का नाम हंप ऑपरेशन को श्रद्धांजलि देता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विमानन इतिहास की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक था। संग्रहालय पूरा होने वाला है और जल्द ही इसका उद्घाटन किया जाएगा।
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