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संघर्षों को मात दे रहा दिव्यांग हरिप्रसाद, लॉटरी बेच कर चला रहा है परिवार

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कूचबिहार। कहते हैं जहां हौसला बुलंद और इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो कोई मुश्किल आड़े नहीं आती। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह कहावत चरितार्थ कर रहे है कूचबिहार जिले के उंचुलपुकुरी के निवासी हरिप्रसाद बर्मन। दोनों पैर से दिव्यांग हरिप्रसाद बर्मन लॉटरी बेचकर संसार चला रहे हैं।
मेखलीगंज प्रखंड के उचुलपुकुरी इलाके के पारेयाहाट के रहनेवाले हरिप्रसाद बर्मन को महज 9 साल की उम्र में टाइफाइड बुखार हो गया था। आंगनबाड़ी सेंटर में टीका लेने के बाद उनके दोनों पैर काम करना बंद कर दिया। फिलहाल उसके परिवार में दो लोग हैं। वृद्ध माँ और वे खुद। उनकी दो बहनों की शादी बहुत पहले हो गई है। हरिप्रसाद ही जीविकोपार्जन का एकमात्र साधन है। वे लॉटरी बेच कर अपना संसार चला रहे हैं। सरकारी सहयोग के रूप में उन्हें एक ट्राई साइकिल मिला है और 1000 रुपये सरकारी भत्ता मिल रहा है, पर ये परिवार चलाने के लिए नाकाफी है। बीडीओ ऑफिस में उन्होंने कई बार मदद की गुहार लगाई और आश्वासन के सिवाय उन्हें अब तक कुछ नहीं मिला है।


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