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राजनीति में ‘भाभी’ की एंट्री, नाराज ‘भाई साहब’ को मनाने में क्यों जुटीं ममता बनर्जी?

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कोलकाता। पिछले दिनों में ममता बनर्जी ने अपनी भाभी को राजनीति में एंट्री दिलाई। सवाल उठे, आलोचना भी हुई। कहा गया कि टीएमसी में परिवारवाद की जड़ें गहरा रही हैं। पहले से ही एक भतीजे का दबदबा बना हुआ है और अब भाभी भी आ गई हैं। लेकिन भाभी को राजनीति में लाने की जो वजह बताई जा रही है, वह खासी दिलचस्प है।
ममता बनर्जी राजनीति में भाभी को खुशी-खुशी नहीं लाईं हैं, वह तो मजूबरी का सौदा है। राज्य में एक तरह से अपनी साख बचाने का दांव है। भाभी के जो पति हैं, यानी ममता के बड़े भाई, वह बहुत दिनों से ममता से नाराज चल रहे हैं। वह भी राजनीति में जगह चाहते हैं लेकिन ममता ने उनसे दूरी बना रखी है।
ममता ने अपने दूसरे भाई के बेटे अभिषेक को जिस तरह से राजनीति में आगे बढ़ाया, वह बात इन ‘भाई साहब’ को रास नहीं आ रही है। कई मौकों पर उन्होंने अपनी नाराजगी का सार्वजनिक तौर पर इजहार भी किया। बीच में तो इस तरह की खबर उड़ी थी कि वह बीजेपी में भी शामिल हो सकते हैं।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ममता जिस तरह से बीजेपी को खत्म करने में जुटी हुई हैं, उसके मद्देनजर बीजेपी भी कुछ बड़ा करने के इरादे में है। टीएमसी के किसी बड़े नेता को तोड़ पाना बस की बात नहीं लगी, तो उसे ममता के यह ‘भाई साहब’ ही सबसे कमजोर कड़ी लगे।
दिल्ली से प्रदेश नेताओं को इशारा हुआ कि वे ममता के ‘भाई साहब’ से संपर्क करें, अगर उनकी बीजेपी में आने की कोई शर्त होगी तो उस पर भी गौर किया जा सकता है। ममता को जैसे ही बीजेपी के इस मूव की जानकारी हुई, वह सतर्क हो गईं। भाई की नाराजगी खत्म करने के लिए फौरी तौर पर भाभी को कोलकाता नगर निगम के चुनाव में टिकट देकर राजनीति में उनकी एंट्री करा दी गई।


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