सिलीगुड़ी। मरने के बाद हमारे सभी अंगों को खाक में मिल जाना है। कितना अच्छा हो कि मरने के बाद ये अंग किसी को जीवनदान दे सकें या फिर आपका शरीर उन मेडिकल विद्यार्थियों के काम आये, जो दूसरों की जीवन बचने के लिए अनुसन्धान करते है। मौत के बाद भी अगर आप किसी के काम आ सकें तो इससे बढियां और क्या हो सकता है। मौत के बाद अगर आपका दिल किसी सीने में धड़के तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। आपकी मौत के बाद आपकी आंखें फिर से इस हसीन दुनिया को निहारें इससे सुंदर क्या हो सकता है। ये सब संभव है, लेकिन तब जब आप ऐसा नेक और सराहनीय काम के लिए आगे आएंगे जिसके बाद दुनियां आपको याद करेगी। आपके इस बेहद ही महान कार्य को दुनिया सलाम करेगी।
अच्छी बात है किस शरीर और अंगदान के लिए युवा आगे आ रहे है। इसी कड़ी में सिलीगुड़ी सूर्यसेन कॉलेज के चार विद्यार्थियों ने मरणोपरांत शरीर को दान करने का फैसला लिया है। मिसाल कायम करने वाले चार विद्यार्थियों का नाम अलका कुमारी, गरिमा चौहान, आस्था कुमारी भगत और मनोज बर्मन है। मरणोपरांत शरीरदान करने वाले चार विद्यार्थियों को तृणमूल के माटीगाड़ा प्रखंड शरणार्थी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रवि अधिकारी ने स्वागत किया छात्रों ने कहा कि स्वेच्छा से अपने शरीर को दान किया है, ताकि मृत्यु के बाद उनके शरीर का उपयोग दूसरों की जीवन रक्षा और उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के छात्रों द्वारा अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जा सके। चिकित्सा जगत के लिए मृतदेह अमूल्य है, सिर्फ जनरल पढ़ाई लिखाई ही नहीं, आगे के शोध और जटिल ऑपरेशन में दिग्गज सर्जंस के लिए भी यह देह रोशनी का काम कर कई जिंदगियां बचाती है।
चार युवाओं का यह प्रेरणादायक कदम निश्चित तौर पर दूसरों को भी अंगदान और शरीर दान के लिए प्रेरित करेंगा। हालाँकि कुछ लोग धार्मिक अन्धविश्वास के कारण शरीर दान और अंग दान के लिए आगे नहीं आते है , लेकिन अगर धार्मिक अंधविश्वास आपको ऐसा करने से रोकते हैं तो महान ऋषि दधीचि को याद कीजिए, जिन्होंने समाज की भलाई के लिए अपनी हड्ड़ियां दान कर दी थीं। उन जैसा धर्मज्ञ अगर ऐसा कर चुका है तो आम लोगों को तो डरने की जरूरत ही नहीं है। सभी लोगो को मरणोपरान्त शरीर और अंगदान करना चाहिए। अंगदान और शरीर दान जैसा महादान हो ही नहीं सकता। अंगदान कर आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं। आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं। अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं। अंगदान करने से न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी खुशी देती है।