पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर फैली ‘मौत की अफवाहों’ ने पूरे देश का संतुलन हिला दिया है. सोशल मीडिया पर अचानक यह दावा फैल गया कि अदियाला जेल में बंद इमरान खान की रहस्यमय परिस्थितियों में हत्या कर दी गई है. जैसे ही यह खबर वायरल हुई, रावलपिंडी और इस्लामाबाद में माहौल तनावपूर्ण हो गया. समर्थक सड़कों पर उतर आए, सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर चली गईं और सरकार तथा विपक्ष की ओर से विरोधाभासी बयान आने लगे, जिसने स्थिति को और अस्पष्ट कर दिया. यह अफवाहें पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता, सेना की भूमिका और PTI के लगातार बढ़ते संघर्ष को एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ले आईं.
अदियाला जेल प्रशासन ने आधिकारिक बयान देकर स्पष्ट किया कि इमरान खान “पूरी तरह सुरक्षित और स्वस्थ” हैं और जेल परिसर में ही मौजूद हैं, किसी भी स्थानांतरण या मौत की बातें बिल्कुल बेबुनियाद हैं. लेकिन इस आश्वासन के बावजूद परिवार को दी जा रही लगातार अस्वीकृति, PTI नेताओं को मुलाकात से रोकना और जेल के बाहर बढ़ती अशांति यह संकेत देती है कि केवल प्रशासनिक बयान लोगों की चिंताएं शांत नहीं कर पा रहे. सवाल यह भी उठ रहा है कि जब इमरान खान के खिलाफ गंभीर आरोपों और राजनीतिक तनाव के बीच देश अशांति से जूझ रहा है, क्या सरकार और सेना इस संकट को पारदर्शिता के साथ संभाल रही है या नहीं.
इमरान बिल्कुल ठीक हैं: जेल प्रशासन
अदियाला जेल प्रशासन ने बुधवार देर रात मीडिया को भेजे आधिकारिक पत्र में कहा कि इमरान खान जेल में मौजूद हैं और उनकी सेहत बिलकुल ठीक है. प्रशासन ने यह भी दावा किया कि उन्हें नियमित मेडिकल ध्यान दिया जा रहा है और उनकी सुरक्षा पर “जेल के उच्चतम प्रोटोकॉल” लागू हैं. यह बयान तब आया जब सोशल मीडिया पर यह दावा फैल रहा था कि इमरान को “किसी अज्ञात स्थान” पर ले जाया गया है और उनकी मृत्यु की जानकारी छिपाई जा रही है. जेल प्रशासन ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह “राजनीतिक भड़काऊ अफवाहें” हैं.
PTI को नहीं है विश्वास
दूसरी ओर, PTI ने सरकारी दावों पर पूर्ण अविश्वास जताते हुए कहा कि जब तक इमरान खान से उनके परिवार और पार्टी प्रतिनिधियों की आमने-सामने मुलाकात नहीं कराई जाती, तब तक किसी भी सरकारी बयान पर भरोसा करना संभव नहीं. इमरान खान की बहनों अलीमा खान, नूरीन नियाज़ी और उज्मा खान ने आरोप लगाया कि उन्हें कोर्ट आदेश के बावजूद जेल में जाने नहीं दिया गया और जब उन्होंने विरोध किया, तो पुलिस ने उन्हें धक्का दिया, घसीटा और बलपूर्वक हटाया. परिवार का कहना है कि यह व्यवहार “किसी गहरे रहस्य” की ओर इशारा करता है.